मैं बालक तू माता शेरां वालिए
यह गीत "शेरां
वालिए" माँ के प्रति भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करता है। इसमें मातृ
शक्ति की महिमा, संरक्षण और मार्गदर्शन का
उल्लेख है। गीत के मुख्य भावार्थ और संदेश इस प्रकार हैं:
पीड़ा का पर्वत: गीत की शुरुआत में कठिनाइयों का सामना करने की बात की
गई है। यह दर्शाता है कि जीवन में चुनौतियाँ और दुख हो सकते हैं, लेकिन माँ की ममता और शक्ति से हमें उनका सामना करने की
हिम्मत मिलती है।
माँ का संरक्षण: गायक माँ की शक्ति और संरक्षण की बात करता है। यह
भावना है कि माँ का हाथ हमेशा सिर पर है, जिससे विश्वास और साहस मिलता है।
नाता: "मैं बालक तू माता" का अर्थ
है कि गायक खुद को माँ का बच्चा मानता है, जो उनके
प्रति गहरे प्रेम और श्रद्धा को दर्शाता है। यह नाता अटूट और शाश्वत है।
प्रकाश और अंधकार: गायक यह बताता है कि माँ के बिना जीवन अंधकार है। माँ
की उपस्थिति ही जीवन में प्रकाश और सकारात्मकता लाती है।
बंधन: गीत में बंधन का संदर्भ है, जिसमें यह बताया गया है कि यह बंधन प्यार और समर्पण का
है। कोई और इस बंधन को नहीं समझ सकता, केवल माँ और उसका
बच्चा ही इसे समझते हैं।
आध्यात्मिक यात्रा: इस गीत में भक्ति की गहराई है, जो गायक को आध्यात्मिक रूप से ऊँचा उठाने की प्रेरणा
देती है। माँ की कृपा से वह अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है और उसकी भक्ति में
मग्न रहता है।
आस्था: गीत में आस्था और विश्वास की एक महत्वपूर्ण भावना है, जो माँ की शक्ति और उपस्थिति में झलकती है। यह आस्था
व्यक्ति को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
निष्कर्ष: "शेरां वालिए" माँ के प्रति
अटूट प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। यह एक श्रद्धांजलि है जो माँ की महिमा को उजागर
करती है और जीवन की कठिनाइयों में भी आशा और साहस प्रदान करती है। यह गीत न केवल
मातृत्व को सम्मानित करता है, बल्कि आत्म-विश्वास और
आस्था को भी बढ़ावा देता है।
तो क्या जो ये
पीड़ा का पर्वत
रास्ता रोक के खड़ा है
तेरी ममता
जिस का बल वो
कब दुनिया से डरा है
हिम्मत मैं क्यों
हारूं मैया
हिम्मत मैं क्यों
हारूं मैया
सर पे हाथ तेरा है
तेरी लगन मैं मगन मैं नाचूं
गाऊं तेरा जगराता
मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए हो हो
मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए
शेरां वालिए माँ, पहाड़ा वालिए माँ
ज्योतां वालिये माँ, मेहरा वालिये
माँ
मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए
बिन बाती बिन दिया तू कैसे
कांटे घोर अँधेरा
बिन सूरज तू कैसे करदे
अंतरमन में सवेरा
बिन धांगो के कैसे जुड़ा है
बिन धांगो के कैसे जुड़ा है
बंधन तेरा मेरा
तू समझे या मैं समझूँ
कोई और समझ नहीं पाता
मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए हो
शेरां वालिए माँ, ज्योतां वालिये
माँ
पहाड़ा वालिए माँ, मेहरा वालिये
माँ
मैं बालक तू माता शेरां वालिए