All Languages Translate

गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024

मैं बालक तू माता शेरां वालिए

मैं बालक तू माता शेरां वालिए 

यह गीत "शेरां वालिए" माँ के प्रति भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करता है। इसमें मातृ शक्ति की महिमासंरक्षण और मार्गदर्शन का उल्लेख है। गीत के मुख्य भावार्थ और संदेश इस प्रकार हैं:

पीड़ा का पर्वत: गीत की शुरुआत में कठिनाइयों का सामना करने की बात की गई है। यह दर्शाता है कि जीवन में चुनौतियाँ और दुख हो सकते हैंलेकिन माँ की ममता और शक्ति से हमें उनका सामना करने की हिम्मत मिलती है।

माँ का संरक्षण: गायक माँ की शक्ति और संरक्षण की बात करता है। यह भावना है कि माँ का हाथ हमेशा सिर पर हैजिससे विश्वास और साहस मिलता है।

नाता: "मैं बालक तू माता" का अर्थ है कि गायक खुद को माँ का बच्चा मानता हैजो उनके प्रति गहरे प्रेम और श्रद्धा को दर्शाता है। यह नाता अटूट और शाश्वत है।

प्रकाश और अंधकार: गायक यह बताता है कि माँ के बिना जीवन अंधकार है। माँ की उपस्थिति ही जीवन में प्रकाश और सकारात्मकता लाती है।

बंधन: गीत में बंधन का संदर्भ हैजिसमें यह बताया गया है कि यह बंधन प्यार और समर्पण का है। कोई और इस बंधन को नहीं समझ सकताकेवल माँ और उसका बच्चा ही इसे समझते हैं।

आध्यात्मिक यात्रा: इस गीत में भक्ति की गहराई हैजो गायक को आध्यात्मिक रूप से ऊँचा उठाने की प्रेरणा देती है। माँ की कृपा से वह अपनी भावनाओं को व्यक्त करता है और उसकी भक्ति में मग्न रहता है।

आस्था: गीत में आस्था और विश्वास की एक महत्वपूर्ण भावना हैजो माँ की शक्ति और उपस्थिति में झलकती है। यह आस्था व्यक्ति को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

निष्कर्ष: "शेरां वालिए" माँ के प्रति अटूट प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। यह एक श्रद्धांजलि है जो माँ की महिमा को उजागर करती है और जीवन की कठिनाइयों में भी आशा और साहस प्रदान करती है। यह गीत न केवल मातृत्व को सम्मानित करता हैबल्कि आत्म-विश्वास और आस्था को भी बढ़ावा देता है।

तो क्या जो ये
पीड़ा का पर्वत
रास्ता रोक के खड़ा है
तेरी ममता
जिस का बल वो
कब दुनिया से डरा है
हिम्मत मैं क्यों
हारूं मैया
हिम्मत मैं क्यों
हारूं मैया
सर पे हाथ तेरा है
तेरी लगन मैं मगन मैं नाचूं
गाऊं तेरा जगराता

मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए हो हो
मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए

शेरां वालिए माँपहाड़ा वालिए माँ
ज्योतां वालिये माँमेहरा वालिये माँ
मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए

बिन बाती बिन दिया तू कैसे
कांटे घोर अँधेरा
बिन सूरज तू कैसे करदे
अंतरमन में सवेरा

बिन धांगो के कैसे जुड़ा है
बिन धांगो के कैसे जुड़ा है
बंधन तेरा मेरा
तू समझे या मैं समझूँ
कोई और समझ नहीं पाता

मैं बालक तू माता शेरां वालिए
है अटूट ये नाता शेरां वालिए हो
शेरां वालिए माँज्योतां वालिये माँ
पहाड़ा वालिए माँमेहरा वालिये माँ
मैं बालक तू माता शेरां वालिए

है अटूट ये नाता शेरां वालिए

गुरु-गोबिंद दो खड़े, काके लागो पाय

गुरु-गोबिंद दो खड़े, काके लागो पाय

यह गीत दास कबीर की सृजनात्मकता और गहनता का अद्भुत उदाहरण है। कबीर की रचनाएँ उनकी गहरी सूझबूझअनुभव और मानवता के प्रति प्रेम को दर्शाती हैं। इस गीत में कई महत्वपूर्ण विचार और शिक्षाएँ शामिल हैं:

गुरु और गोबिंद: कबीर इस प्रश्न के माध्यम से बताते हैं कि जब गुरु और भगवान दोनों सामने होंतो हमें गुरु का आदर करना चाहिए क्योंकि वे ज्ञान और मार्गदर्शन देते हैं।

बड़ाई का अर्थ: वे इस धारणा को चुनौती देते हैं कि केवल बड़ा होना महत्वपूर्ण हैजैसे खजूर का पेड़जो दूसरों के लिए उपयोगी नहीं है।

सच्ची वाणी: कबीर का उद्देश्य ऐसी वाणी बोलना हैजो दूसरों को शांति प्रदान करे और स्वयं भी मन को शांति में लाए।

आत्म-खोज: जब कबीर कहते हैं कि उन्होंने बुराई की खोज कीलेकिन उन्हें कोई बुरा नहीं मिलातो इसका मतलब है कि जब हम दूसरों के दोषों को खोजने में लगे होते हैंतब हम अपनी बुराइयों से अनजान रह जाते हैं।

समय का महत्व: कबीर यह बताते हैं कि समय का सदुपयोग करना चाहिएक्योंकि कल का क्या भरोसा है।

ज्ञान और प्रेम: वे यह स्पष्ट करते हैं कि केवल पुस्तकों का अध्ययन करने से ज्ञान नहीं मिलतासच्चा ज्ञान प्रेम में निहित है।

दुख और सुख: कबीर यह प्रश्न उठाते हैं कि यदि सुख में भी भगवान का स्मरण किया जाए तो दुख क्यों आएगा।

आत्म-स्वामित्व: कबीर कहते हैं कि हमारा कुछ भी नहीं हैसब कुछ ईश्वर का है।

साधु का ज्ञान: वे जाति को छोड़कर साधु के ज्ञान की बात करते हैंजो कि असली मूल्य है।

निंदक की महत्ता: कबीर निंदकों को अपने निकट रखने की सलाह देते हैंक्योंकि वे हमें सुधारने में मदद करते हैं।

कबीर की ये रचनाएँ आज भी लोगों को जीवन के गूढ़ अर्थों को समझाने में मदद करती हैं और सच्चे ज्ञान और प्रेम की ओर प्रेरित करती हैं। उनकी भाषा सरल लेकिन प्रभावशाली हैजो सीधे दिल को छूती है।

गुरु-गोबिंद दो खड़ेकाके लागो पाय?
गुरु-गोबिंद दो खड़ेकाके लागो पाय?
बलिहारी गुरुआपने गोबिंद दियो बताय
कबीरागोबिंद दियो बताय

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर?
बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर?
पंथी को छाया नहींफल लागे अति दूर
कबीराफल लागे अति दूर

ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय
ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय
औरन को सीतल करेआपहुँ सीतल होय
कबीराआपहुँ सीतल होय

बुरा जो देखन मैं चलाबुरा ना मिलिया कोय
बुरा जो देखन मैं चलाबुरा ना मिलिया कोय
जो मन खोजा आपनामुझसे बुरा ना कोयकबीरा
मुझसे बुरा ना कोय

माटी कहे कुम्हार से, "तू क्या रौंदे मोय?"
माटी कहे कुम्हार से, "तू क्या रौंदे मोय?"
एक दिन ऐसा आएगामैं रौंदूँगी तोयकबीरा
मैं रौंदूँगी तोय"

काल करे सो आज करआज करे सो अब
काल करे सो आज करआज करे सो अब
पल में परलय होएगीबहुरी करेगा कबकबीरा?
बहुरी करेगा कब?

माया मरीना मन मरामर-मर गए शरीर
माया मरीना मन मरामर-मर गए शरीर
आस्था-तृष्णा ना मरी कह गए दास कबीर
रे बंधुकह गए दास कबीर

पोथी पढ़-पढ़ जग मुआपंडित भया ना कोय
पोथी पढ़-पढ़ जग मुआपंडित भया ना कोय
ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होयकबीरा
पढ़े सो पंडित होय

दुख में सुमिरन सब करेंसुख में करे ना कोय
दुख में सुमिरन सब करेंसुख में करे ना कोय
जो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे होयकबीरा?
तो दुख काहे होय?

मेरा मुझमें कुछ नहींजो कुछ हैसो तेरा
मेरा मुझमें कुछ नहींजो कुछ हैसो तेरा
तेरा तुझको सौंपते क्या लागे है मेराकबीरा?
क्या लागे है मेरा?

जाति ना पूछो साधु कीपूछ लीजियो ज्ञान
जाति ना पूछो साधु कीपूछ लीजियो ज्ञान
मोल करो तलवार कापड़ी रहन दो म्यान
कबीरापड़ी रहन दो म्यान

निंदक नियरे राखिएआँगन कुटी छवाय
निंदक नियरे राखिएआँगन कुटी छवाय
बिन पानीसाबुन बिननिर्मल करे सुहाय
कबीरानिर्मल करे सुहाय

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं

यह भजन भगवान कृष्ण और राम की स्तुति में हैजिसमें भक्ति और श्रद्धा के भावों का अद्भुत चित्रण किया गया है। इसके माध्यम से भक्त भगवान को बुलाने की शक्ति और उनकी उपस्थिति का अनुभव करते हैं।

भगवान की महिमा: भजन में अच्युतमकेशवकृष्णदामोदररामनारायण जैसे नामों के द्वारा भगवान की महिमा का गुणगान किया गया है।

भक्ति की शक्ति: यह बताया गया है कि अगर मन में सच्ची श्रद्धा होतो भगवान अवश्य आएंगे। भक्तों की आस्था और प्रेम के माध्यम से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

मीरा और यशोदा का उदाहरण: भक्त मीरा की तरह भगवान को बुलाने की शक्ति और माँ यशोदा की तरह प्रेम से सुलाने का उल्लेख किया गया हैजो भक्ति के विभिन्न रूपों को दर्शाता है।

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं
राम नारायणं जानकी वल्लभं
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं
राम नारायणं जानकी वल्लभं

बिन बुलाये आएंगे
श्याम रेह ना पायेंगे
तेरी पीड़ा तेरे दुःख
श्याम सेह ना पायेंगे
बिन बुलाये आएंगे
श्याम रेह ना पायेंगे
तेरी पीड़ा तेरे दुःख
श्याम सेह ना पायेंगे

आस्था से पूरी
बंद करके आँखों को
दिल से तुम बुलाओ तो सही

कौन कहते हैं भगवान आते नहीं
लोग मीरा के जैसे बुलाते नहीं
कौन कहते हैं भगवान आते नहीं
लोग मीरा के जैसे बुलाते नहीं

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं
राम नारायणं जानकी वल्लभं
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं
राम नारायणं जानकी वल्लभं

कोई छोटा ना बड़ा
सब बराबर है यहाँ
राम के हैं हम सभी
राम सबके हैं यहाँ

मन में श्रद्धा हो अगर
तो मना वो ना करे
चाहे झूठा ही सही
भोग वो स्वीकार लें

भाव जिसका मन में
राम के लिए पूरा
वो मना करेंगे ही नहीं

कौन कहते हैं भगवान आते नहीं
लोग मीरा के जैसे बुलाते नहीं
कौन कहते हैं भगवान आते नहीं
लोग मीरा के जैसे बुलाते नहीं

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं
राम नारायणं जानकी वल्लभं
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं
राम नारायणं जानकी वल्लभं

कौन कहते हैं भगवान सोते नहीं
माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं
कौन कहते हैं भगवान सोते नहीं
माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं
राम नारायणं जानकी वल्लभं
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं
राम नारायणं जानकी वल्लभं

कौन कहते हैं भगवान नाचते नहीं
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं
कौन कहते हैं भगवान नाचते नहीं
गोपियों की तरह तुम नचाते नहीं

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं
राम नारायणं जानकी वल्लभं
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं
राम नारायणं जानकी वल्लभं

रविवार, 27 अक्टूबर 2024

ऊँचा है भवन, ऊँचा मंदिर

ऊँचा है भवनऊँचा मंदिर

यह गीत माँ की महानता और उसके प्रति श्रद्धा का अद्भुत उदाहरण है। इसमें माँ को देवी के रूप में दर्शाया गया हैजहां उनके चरणों में आस्था और भक्ति प्रकट की गई है।

गीत की पंक्तियाँ माँ की ममतासंरक्षण और प्यार को बयां करती हैं। यह दर्शाता है कि माँ की उपस्थिति जीवन में कितनी महत्वपूर्ण होती है। जैसे बादल उसके चरणों में झुकते हैंऔर पर्वत उसकी शैय्या बनते हैंयह सब उसकी दिव्यता का प्रतीक है।

इसमें कालरात्रि और कल्याणी जैसे नामों के माध्यम से माँ को सशक्त और सर्वशक्तिमान रूप में प्रस्तुत किया गया है। पंक्तियाँ स्पष्ट करती हैं कि माँ के बिना जीवन अधूरा है और उसकी ममता का कोई मुकाबला नहीं।

कुल मिलाकरयह गीत मातृत्व की अद्भुतता और उसकी अविश्वसनीय शक्ति का महिमामंडन करता है। 

ऊँचा है भवनऊँचा मंदिर
ऊँची है शानमैयातेरी
चरणों में झुकें बादल भी तेरे
पर्वत पे लगे शैया तेरी

हे कालरात्रिहे कल्याणी
तेरा जोड़ धरा पर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)

तेरी ममता से जो गहरा हो
ऐसा तो सागर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)

जैसे धारा और नदियाजैसे फूल और बगिया
मेरे इतना ज़्यादा पास है तू
जब ना होगा तेरा आँचलनैना मेरे होंगे जल-थल
जाएँगे कहाँ फिर मेरे आँसू?

दुख दूर हुआ मेरा सारा
अँधियारों में चमका तारा
नाम तेरा जब भी है पुकारा

सूरज भीयहाँ है चंदा भी
तेरे जैसा उजागर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)

हे कालरात्रिहे कल्याणी
तेरा जोड़ धरा पर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)

तेरे मंदिरों मेंमाईमैंने ज्योत क्या जलाई
हो गया मेरे घर में उजाला
क्या बताऊँ तेरी मायाजब कभी मैं लड़खड़ाया
तूने दस भुजाओं से सँभाला

खिल जाती है सूखी डाली
भर जाती है झोली ख़ाली
तेरी ही मेहर हैमेहरावाली

ममता से तेरी बढ़ केमैया
मेरी तो धरोहर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)

हे कालरात्रिहे कल्याणी
तेरा जोड़ धरा पर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)

तेरी ममता से जो गहरा हो
ऐसा तो सागर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं

माँमेरी माँ
माँमेरी माँ
माँमेरी माँ
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं

शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

मेरी चौखट पे चल के आज चारो धाम आये हैं

मेरी चौखट पे चल के आज चारो धाम आये हैं

यह गीत भगवान राम के आगमन की खुशी और भक्ति को व्यक्त करता है। इसके माध्यम से भक्त अपने आराध्य का स्वागत करते हुए अपनी गहरी श्रद्धा और प्रेम प्रकट कर रहा है।

1. स्वागत और उल्लास: "मेरी चौखट पे चल के आज चारो धाम आये हैं" से यह संकेत मिलता है कि राम का आगमन भक्त के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैजैसे कि चारों धाम उसके घर आ गए हों। ढोल बजाकर स्वागत का भाव एक उत्सव का माहौल बनाता है।

2. कथा और भक्ति: शबरी की कथा का जिक्र कर भक्त अपनी कहानी को राम से जोड़ता हैयह दिखाते हुए कि हर भक्त की भक्ति का एक अद्भुत महत्व होता है।

3. आंसू और खुशी: आंसुओं का जिक्र कर यह दर्शाया गया है कि प्रभु के चरणों को धोने में पाई गई खुशी में भावनाओं का एक गहरा स्तर है।

4. प्रभु की महिमा: राम को "धनी" और "निर्धन का धन" कहा गया हैजो दर्शाता है कि वे केवल भौतिक नहींबल्कि आत्मिक समृद्धि के प्रतीक भी हैं।

5. दर्शन का महत्व: "जीवन नइयाँ तुमने तारी" का मतलब है कि राम के दर्शन से भक्त का जीवन सुखद और सुरक्षित हो गया है।

6. भक्ति का संदेश: "मंगल भवन अमंगल हारी" का जिक्र करते हुए यह बताया गया है कि राम सभी कष्टों को दूर करते हैं और जीवन में मंगल लाते हैं।

इस गीत में भगवान राम के प्रति अनन्य भक्तिउनकी कृपा और उनके आगमन की खुशी का एक भावुक चित्रण किया गया हैजो भक्तों के हृदय में गहरा स्थान रखता है।

मेरी चौखट पे चल के आज

चारो धाम आये हैं

बजाओ ढोल स्वागत में

मेरे घर राम आये हैं

कथा शबरी की जैसी

जुड़ गई मेरी कहानी से

ना रोको आज धोने दो चरण

आँखों के पानी से

बहुत खुश हैं मेरे आंसू

के प्रभु के काम आये हैं

बजाओ ढोल स्वागत में

मेरे घर राम आये हैं

तुमको पा के क्या पाया है

सृष्टि के कन्न कन्न से पूछो

तुमको खोने का दुख क्या है

कौशल्या के मन से पूछो

द्वार मेरे ये अभागे

आज इनके भाग जागे

बड़ी लम्बी इंतज़ार हुई

रघुवर तुम्हारी तब

आई है सवारी

संदेशे आज खुशियों के

हमारे नाम आये है

बजाओ ढोल स्वागत में

मेरे घर राम आये हैं

दर्शन पा के हे अवतारी

धनी हुए हैं नैन पुजारी

जीवन नइयाँ तुमने तारी

मंगल भवन अमंगल हारी

मंगल भवन अमंगल हारी

निर्धन का तुम धन हो राघव

तुम ही रामायण हो राघव

सब दुःख हरना अवध बिहारी

मंगल भवन अमंगल हारी

मंगल भवन अमंगल हारी

मंगल भवन अमंगल हारी

चरण की धूल ले लूं मैं

मेरे भगवान आये हैं

बजाओ ढोल स्वागत में

मेरे घर राम आये हैं

मेरी चौखट पे चल के आज

चारो धाम आये हैं

बजाओ ढोल स्वागत में

मेरे घर राम आये हैं

शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024

राम आयेंगे

राम आयेंगे

"राम आयेंगे" गीत में राम का भावार्थ प्रेमआशा और धार्मिकता का प्रतीक है। यह गाना भगवान राम के आगमन की खुशी और उनके प्रति भक्ति को व्यक्त करता है। राम के आने से जीवन में सुखशांति और समृद्धि की उम्मीद जागती है।

गीत में दिखाया गया है कि राम के आगमन से न केवल लोगबल्कि प्रकृति भी उल्लासित होती है। सुखद घटनाओंजैसे फूल बिछाना और ढोल बजानासे यह स्पष्ट होता है कि राम को केवल एक दिव्य शक्ति नहींबल्कि एक प्रिय आत्मा के रूप में देखा जाता है।

अंतरे में व्यक्त बिरहा (वियोग) और पुनर्मिलन की भावना दर्शाती है कि राम के बिना जीवन में कितनी कठिनाई हैऔर उनका आना सभी दुखों का निवारण करेगा।

इस प्रकारराम का भावार्थ एक आदर्शप्रेरणा और आशा का स्रोत हैजो जीवन को आनंदित और संतुष्ट करता है।

आज गली-गली अवध सजायेंगे

आज पग-पग पलक बिछाएंगे

आज गली-गली अवध सजायेंगे

आज पग-पग पलक बिछाएंगे

आज सूखे हुए पेड़ फ़ल जायेंगे

नैना भीगे-भीगे जायेंगी

कैसी ख़ुशी ये छुपाएं

राम आयेंगे!

कुछ समझ ना पायें

कहां फूल बिछाएं

राम आयेंगे!

नैना भीगे-भीगे जायेंगी

कैसी ख़ुशी ये छुपाएं

राम आयेंगे!

कुछ समझ ना पायें

कहां फूल बिछाएं

राम आयेंगे!

अंतरा

सरजू जल-थल जल-थल रोयी

जिस दिन राघव हुए पराये

बिरहा के सौ पर्वत पिगले

हे रघुराई तब तुम आये

ये वही क्षण

है निरंजन,

जिसको दशरथ देख न पाये

सात जन्मों के दुःख कट जायेंगे

आज सरजू के जैसे मुस्कुराएँगे

मोर नाचेंगे पपीहे आज जायेंगे

आज दसों ये दिशाएँ

जैसे शगुन मनाएं

राम आयेंगे!

नैना भीगे-भीगे जायेंगी

कैसी ख़ुशी ये छुपाएं

राम आयेंगे!

कभी ढोल बजाएं

कभी द्वार सजायें

राम आयेंगे!

कुछ समझ ना पायें

कहां दीप जलाएं

राम आयेंगे!

जा के आसमानों से

तारे मांग लाएंगे

कौशल्या के लल्ला जी

तुम्ही पे सब लुटायेंगे

कहुदा साल जो रोके

वो आंसू अब बहाएंगे

अवध में राम आएंगे

हमारे राम आएंगे!

नील-गगन से साँवलेकोटि सूर्य सा तेज

नारायण तज आये हैंशेषनाग की सेज

राघव-राघव करते थेयुग-युग से दिन-रैन

आज प्रभु ने दरस दियाधन्य हुए हैं नैन

नतमस्तक हैं तीन लोकसुर नर करें प्रणाम

एक चंद्रमाएक सूर्यएक जगत में राम

गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

पवनपुत्र, इस राम दूत की महिमा अपार

पवनपुत्रइस राम दूत की महिमा अपार

यह भजन हनुमान जी की महिमा का गुणगान करता है। इसमें पवनपुत्र (हनुमान) की शक्तिभक्ति और प्रेम के माध्यम से जीवन में सुख और सफलता पाने की प्रेरणा दी गई है। 

1. हनुमान की महिमा: भजन हनुमान जी को "राम दूत" के रूप में वर्णित करता हैजो अपने भक्तों की सभी कठिनाइयों को दूर करते हैं।

2. भक्ति का महत्व: यह बताता है कि जो भी हनुमान जी की निस्वार्थ भक्ति करता हैउसका जीवन सफल हो जाता है और वह सभी दुखों से पार हो जाता है।

3. जीवन की नश्वरता: भजन में यह भी कहा गया है कि जीवन क्षणिक हैइसलिए मनुष्य को अपने जीवन में हनुमान जी की भक्ति करना चाहिए और उनके चरणों में समर्पित होना चाहिए 

4. संकट मोचन: "संकट हारी" का अर्थ है कि हनुमान जी सभी संकटों को हर लेते हैं। इस नाम का जाप करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं।

5. अनुरोध और प्रार्थना: अंत मेंयह भजन सुनने वालों को प्रोत्साहित करता है कि वे हनुमान जी का नाम लें और उनकी महिमा का गुणगान करें।

इस तरहयह भजन हनुमान जी की शक्तिभक्ति के लाभऔर जीवन के सही मूल्य को समझाने का प्रयास करता है।

पवनपुत्रइस राम दूत की महिमा अपार
पवनपुत्रइस राम दूत की महिमा अपार
जो निस प्रेम से पूजाहुआ उसका बेड़ा पार

बोलो, "महाबीर हनुमान"
बोलो, "बजरंगी बलवान"
(बोलो, "महाबीर हनुमान")
(बोलो, "बजरंगी बलवान")

पवनपुत्रइस राम दूत की महिमा अपार
पवनपुत्रइस राम दूत की महिमा अपार
जो निस प्रेम से पूजाहुआ उसका बेड़ा पार

बोलो, "महाबीर हनुमान"
बोलो, "बजरंगी बलवान"
(बोलो, "महाबीर हनुमान")
(बोलो, "बजरंगी बलवान")

इक नाम यही सुखदाईइक नाम यही फलदाई
जो करता नित पग बंदनउस नर ने खुशियाँ पाईं
जिसने भी अपने मन में इस अंजनी पुत्र को बैठाया
जीवन में जीते जी उसने सब कुछ बिन माँगे पाया

महाबीरबजरंगबली
महाबीरबजरंगबली
जो भजन मुदित मन है गाया
जो भजन मुदित मन है गाया

पवनपुत्रइस राम दूत की महिमा अपार
पवनपुत्रइस राम दूत की महिमा अपार
जो निस प्रेम से पूजाहुआ उसका बेड़ा पार

बोलो, "महाबीर हनुमान"
बोलो, "बजरंगी बलवान"
(बोलो, "महाबीर हनुमान")
(बोलो, "बजरंगी बलवान")

ये जीवन चार दिनों का हैमन भज ले मारुति नंदन
भव पार ये होगाजीवन धन कर ले चरणों में बंदन
फ़िर पछताए क्या होगा जब प्राण पखेरू बन जाएँ?
अफ़सोस किए क्या होगा जब वक्त लोट के ना आए?

संकट हारीसत नाम यही
संकट हारीसत नाम यही
जो नर इस नाम को निस गाए
जो नर इस नाम को निस गाए

पवनपुत्रइस राम दूत की महिमा अपार
पवनपुत्रइस राम दूत की महिमा अपार
जो निस प्रेम से पूजाहुआ उसका बेड़ा पार

बोलो, "महाबीर हनुमान"
बोलो, "बजरंगी बलवान"
(बोलो, "महाबीर हनुमान")
(बोलो, "बजरंगी बलवान")

All religious songs will be available in written form