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गुरुवार, 9 जनवरी 2025

ॐ जय जगदीश हरे

 ॐ जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है, जो भगवान विष्णु की महिमा और उनके आशीर्वाद का गुणगान करता है। यह भजन विशेष रूप से भक्तों के दिलों में भगवान के प्रति श्रद्धा और विश्वास को प्रगाढ़ करता है और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करता है। यह भजन सम्पूर्ण भारत में विभिन्न धार्मिक अवसरों पर गाया जाता है, खासकर मंदिरों में।

1.      भगवान विष्णु की महिमा:
"ॐ जय जगदीश हरे" की शुरुआत भगवान विष्णु की स्तुति से होती है। भगवान विष्णु को 'जगदीश' (संसार के ईश्वर) और 'स्वामी' (सार्वभौमिक स्वामी) कहा जाता है। यह भजन उनके दिव्य रूप, शक्तियों और भक्तों के प्रति उनके असीम दया और करुणा को दर्शाता है।

2.      भक्तों के संकट का निवारण:
इस भजन में भगवान विष्णु से यह प्रार्थना की जाती है कि वे अपने भक्तों और दासों के सभी संकटों को दूर करें। यह गीत इस तथ्य को व्यक्त करता है कि भगवान विष्णु शीघ्रता से अपने भक्तों की समस्याओं का समाधान करते हैं और उन्हें शांति और सुख प्रदान करते हैं।

3.      भगवान विष्णु की कृपा:
"जो ध्यावे फल पावे" का अर्थ है कि जो व्यक्ति भगवान का ध्यान करता है, उसे सुख और सम्पत्ति प्राप्त होती है, और उसके जीवन से दुखों का नाश हो जाता है। यह गीत यह संदेश देता है कि भगवान की भक्ति से व्यक्ति को जीवन में सफलता, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

4.      भगवान विष्णु के प्रति समर्पण:
"मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी" में भक्त भगवान विष्णु को अपना पिता और माता मानते हुए पूरी श्रद्धा से उनकी शरण में जाते हैं। यह प्रार्थना दर्शाती है कि भगवान के बिना जीवन में कोई और सहारा नहीं है। भक्त अपनी पूरी आस भगवान पर छोड़कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त करते हैं।

5.      भगवान का रक्षक रूप:
भगवान विष्णु को रक्षक और पालनहार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। भजन में कहा गया है कि भगवान विष्णु कृपा के सागर हैं और वे अपने भक्तों के दुःखों को दूर कर उन्हें शांति और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

6.      भगवान के दिव्य रूप का आह्वान:
"तुम हो एक अगोचर, सबके प्राण पति" में भगवान विष्णु को अगोचर (अदृश्य) और सर्वव्यापक रूप में माना जाता है। वे सभी प्राणियों के हृदय में निवास करते हैं और उनका पालन करते हैं। भजन के माध्यम से भक्त यह प्रार्थना करते हैं कि वे भगवान विष्णु से अपनी कुमति (बुरी बुद्धि) से उबारने की कृपा प्राप्त करें।

7.      पापों का नाश और भक्तों की सेवा:
"विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा" में भगवान से प्रार्थना की जाती है कि वे भक्तों के पापों को नष्ट करें और उन्हें शुद्ध करें। भक्त भगवान से अपनी श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाने और संतों की सेवा करने का आशीर्वाद चाहते हैं।

8.      भक्तों के लिए रक्षक:
भगवान विष्णु को रक्षक के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो भक्तों के सभी संकटों का निवारण करते हैं। "अपने हाथ उठाओ, अपनी शरण लगाओ" में यह संदेश है कि भक्त भगवान की शरण में आकर उनके आशीर्वाद से सुरक्षित रहते हैं।

"ॐ जय जगदीश हरे" एक अत्यंत लोकप्रिय भक्ति गीत है, जो भगवान विष्णु के प्रति असीम श्रद्धा और विश्वास को व्यक्त करता है। यह गीत भगवान के समस्त रूपों की स्तुति करता है और भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि, और आशीर्वाद की कामना करता है। भजन का संदेश यह है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों की शरण में आकर उनके जीवन से कष्टों का निवारण करते हैं और उन्हें सुख, शांति, और समृद्धि प्रदान करते हैं। इस गीत को श्रद्धा से गाने से भक्तों को मानसिक शांति और परम सुख की प्राप्ति होती है।

ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे दुःख बिन से मन का
स्वामी दुख बिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी
स्वामी शरण गहूं किसकी
तुम बिन और ना दूजा
तुम बिन और ना दूजा
आस करूँ जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा
तुम अंतरियामी
स्वामी तुम अंतरियामी
पार ब्रह्म परमेश्वर
पार ब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर
तुम पालन करता
स्वामी तुम पालन करता
मैं मूरख खलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर
सबके प्राण पति
स्वामी सबके प्राण पति
किस विध मिलु दयामय
किस विध मिलु दयामय
तुम को मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीन बन्धु दुःख हर्ता
ठाकुर तुम मेरे
स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
विषय-विकार मिटाओ पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट
दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट
दास जनो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे

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