जय
अम्बे गौरी
यह भजन "जय अम्बे
गौरी" देवी महा शक्ति की स्तुति में गाया जाता है, विशेष रूप से माँ दुर्गा की आराधना में। यह भजन उनकी दिव्य शक्ति और महिमा
का वर्णन करता है। इस गीत में माँ अम्बे के रूप, उनकी कृपा,
और उनकी विशेषताओं का वर्णन किया गया है।
1. माँ के रूप
और गुण – भजन में माँ के सौंदर्य और शक्ति का बखान
किया गया है, जैसे कि उनके नयन उज्जवल, उनका रक्ताम्बर वस्त्र, और उनका वाहन शेर है। उनके
रूप में शक्ति और सौंदर्य दोनों का संगम है।
2. देवी की
महिमा – इस भजन में माँ को शुम्भ-निशुम्भ जैसे
राक्षसों को हराने वाली, महिषासुर जैसे राक्षसों का वध करने
वाली और अन्य असुरों को समाप्त करने वाली के रूप में पूजा गया है।
3. माँ का
भक्तों के प्रति आशीर्वाद – भजन में कहा गया है कि जो कोई भी इस
भजन का पाठ करता है, वह सुख, संपत्ति
और समृद्धि प्राप्त करता है। भक्तों के दुखों को हरने वाली और उनके मनवांछित फल
देने वाली माँ के रूप में उन्हें पूजा गया है।
4. अर्थ और
प्रभाव – इस भजन के माध्यम से भक्त माँ से आशीर्वाद
की प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। माँ अम्बे को "जग की
माता" और "दुख हर्ता" के रूप में पूजा गया है।
यह भजन शुद्ध भक्ति का प्रतीक है और देवी अम्बे के प्रति
गहरी श्रद्धा और विश्वास का प्रदर्शन है।
जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी
मांग सिंदूर विराजित
टीको जगमग तो
मैया टीको जगमग तो
उज्ज्वल से दोउ नैना
उज्ज्वल से दोउ नैना
चंद्रवदन नीको
ॐ जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर
रक्ताम्बर राजै
मैया रक्ताम्बर राजै
रक्तपुष्प गल माला
रक्तपुष्प गल माला
कंठन पर साजै
ॐ जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत
खड्ग खप्पर धारी
मैया खड्ग खप्पर धारी
सुर नर मुनिजन सेवत
सुर नर मुनिजन सेवत
तिनके दुखहारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चंद्र दिवाकर
कोटिक चंद्र दिवाकर
सम राजत ज्योती
ॐ जय अम्बे गौरी
शुंभ निशुंभ बिदारे महिषासुर घाती
मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना
धूम्र विलोचन नैना
निशदिन मदमाती
ॐ जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे
मधु कैटभ दोउ मारे
सुर भयहिन करे
ॐ जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी
मैया तुम कमला रानी
अगम निगम बखानी
अगम निगम बखानी
तुम शिव पटरानी
ॐ जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरों
मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंगा
बाजत ताल मृदंगा
ओर बाजत डमरू
ॐ जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता
मैया तुम ही हो भरता
भक्तन की दुख हरता
भक्तन की दुख हरता
सुख संपति करता
ॐ जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित वर-मुद्रा धारी
मैया वर मुद्रा धारी
मनवांछित फल पावत
मनवांछित फल पावत
सेवत नर नारी
ॐ जय अम्बे गौरी
कंचन ढाल विराजत अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती
श्रीमालकेतु में राजत
श्रीमालकेतु में राजत
कोटि रतन ज्योती
ॐ जय अम्बे गौरी
श्री अम्बे जी की आरती
जो कोई नर गावे
मैया जो कोई नर गावे
कहते शिवानंद स्वामी
कहते शिवानंद स्वामी
सुख सम्पति पावे
ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें