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शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024

राम आयेंगे

राम आयेंगे

"राम आयेंगे" गीत में राम का भावार्थ प्रेमआशा और धार्मिकता का प्रतीक है। यह गाना भगवान राम के आगमन की खुशी और उनके प्रति भक्ति को व्यक्त करता है। राम के आने से जीवन में सुखशांति और समृद्धि की उम्मीद जागती है।

गीत में दिखाया गया है कि राम के आगमन से न केवल लोगबल्कि प्रकृति भी उल्लासित होती है। सुखद घटनाओंजैसे फूल बिछाना और ढोल बजानासे यह स्पष्ट होता है कि राम को केवल एक दिव्य शक्ति नहींबल्कि एक प्रिय आत्मा के रूप में देखा जाता है।

अंतरे में व्यक्त बिरहा (वियोग) और पुनर्मिलन की भावना दर्शाती है कि राम के बिना जीवन में कितनी कठिनाई हैऔर उनका आना सभी दुखों का निवारण करेगा।

इस प्रकारराम का भावार्थ एक आदर्शप्रेरणा और आशा का स्रोत हैजो जीवन को आनंदित और संतुष्ट करता है।

आज गली-गली अवध सजायेंगे

आज पग-पग पलक बिछाएंगे

आज गली-गली अवध सजायेंगे

आज पग-पग पलक बिछाएंगे

आज सूखे हुए पेड़ फ़ल जायेंगे

नैना भीगे-भीगे जायेंगी

कैसी ख़ुशी ये छुपाएं

राम आयेंगे!

कुछ समझ ना पायें

कहां फूल बिछाएं

राम आयेंगे!

नैना भीगे-भीगे जायेंगी

कैसी ख़ुशी ये छुपाएं

राम आयेंगे!

कुछ समझ ना पायें

कहां फूल बिछाएं

राम आयेंगे!

अंतरा

सरजू जल-थल जल-थल रोयी

जिस दिन राघव हुए पराये

बिरहा के सौ पर्वत पिगले

हे रघुराई तब तुम आये

ये वही क्षण

है निरंजन,

जिसको दशरथ देख न पाये

सात जन्मों के दुःख कट जायेंगे

आज सरजू के जैसे मुस्कुराएँगे

मोर नाचेंगे पपीहे आज जायेंगे

आज दसों ये दिशाएँ

जैसे शगुन मनाएं

राम आयेंगे!

नैना भीगे-भीगे जायेंगी

कैसी ख़ुशी ये छुपाएं

राम आयेंगे!

कभी ढोल बजाएं

कभी द्वार सजायें

राम आयेंगे!

कुछ समझ ना पायें

कहां दीप जलाएं

राम आयेंगे!

जा के आसमानों से

तारे मांग लाएंगे

कौशल्या के लल्ला जी

तुम्ही पे सब लुटायेंगे

कहुदा साल जो रोके

वो आंसू अब बहाएंगे

अवध में राम आएंगे

हमारे राम आएंगे!

नील-गगन से साँवलेकोटि सूर्य सा तेज

नारायण तज आये हैंशेषनाग की सेज

राघव-राघव करते थेयुग-युग से दिन-रैन

आज प्रभु ने दरस दियाधन्य हुए हैं नैन

नतमस्तक हैं तीन लोकसुर नर करें प्रणाम

एक चंद्रमाएक सूर्यएक जगत में राम

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