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सोमवार, 4 नवंबर 2024

राधे तू बड़भागिनी कौन तपस्या कीन्ह

राधे तू बड़भागिनी कौन तपस्या कीन्ह

यह भजन भगवान कृष्ण और राधा के प्रति भक्ति और प्रेम का अद्भुत उदाहरण है। इसमें राधा की महिमाउनकी तपस्याऔर कृष्ण के प्रति उनकी समर्पण भावना को दर्शाया गया है।

भजन की शुरुआत राधा की तपस्या की चर्चा से होती हैजो तीन लोकों को तारने वाली हैं। यह राधा की महानता और उनकी अद्वितीयता को उजागर करता है। मीरा बाई का उल्लेख भी होता हैजो भक्ति के प्रतीक हैंऔर उनका त्याग इस भजन को गहराई प्रदान करता है।

कृष्ण का वर्णनउनके रूप और मुरली की मधुर धुनभक्तों के मन को छू जाती है। भजन में राधा और कृष्ण के रिश्ते की गहराई और भक्ति का उल्लास है।

कुल मिलाकरयह भजन भक्तिप्रेमऔर समर्पण की भावना को उजागर करता हैजिसमें भक्त कृष्ण के चरणों में आत्मसमर्पण करते हैं और उनकी दिव्यता का गुणगान करते हैं।

राधे तू बड़भागिनी कौन तपस्या कीन्ह

तीन लोक तारन तारन सो तेरे अधीन

नी सा .. सा सा रे .. रे रे गा .. गा गा मा .. मा मा पा .. मा पा मा गा मा गा रे नी सा ..

एक ने त्यागी दुनिया डारि वो मीरा कहलायी

नी सा .. सा सा रे .. रे रे गा .. गा गा मा .. मा मा पा मा गा मा गा रे नी सा ..

दूजी राधा रानी बन के श्याम सलोना पाई..

मुझको भी तू अपना ले मन वृन्दावन बन जाये

मुझमें तू ही बस जाए और मन तुझमें राम जाए..

ओ मेरे कान्हा..ओ मेरे कान्हा..

ओ मात्र कान्हा.. ओ मेरे कान्हा..

जय जय राधा रमण हरि बोल

जय जय राधा रमण हरि बोल

जय जय राधा रमण हरि बोल

जय जय राधा रमण हरि बोल

धड़कन धड़कन राधिका

नस नस उड़ति प्रीत

बरसाने में गूंजता

मुरली का संगीत

हे मेरे कान्हा सब जान जपें तेरो नाम ही सुबह शाम

जो मन बैरागी वहीं कान्हा उनसे खुद छुप जाएगा

ओ मेरे कान्हा ओ मेरे कान्हा

ओ मेरे कान्हा ओ मेरे कान्हा

गोरे मुख पे तिल बन्यो

तांहि करो प्रणाम

मानो चंद बिछाई के

पौधे शालिग्राम

है दिखता जुगनू जगमग सूरज चंदा खुद से चमके ऐसे

खुद से चमके ऐसे..

आ…..

कान्हा के दर्शन में हर गोपी को जैसे.. हर गोपी को जैसे..

ओ मेरे कान्हा तेरा सेवक कर्ता तुझसे ही डरता है

ये धरती तुझसे घूमे नभ चूमें है कदम तेरे सरकार

ओ मेरे कान्हा ओ मेरे कान्हा

ओ मेरे कान्हा ओ मेरे कान्हा

जय जय राधा रमण हरि बोल

जय जय राधा रमण हरि बोल

जय जय राधा रमण हरि बोल

जय जय राधा रमण हरि बोल

जय जय राधा रमण हरि बोल

जय जय राधा रमण हरि बोल

जय जय राधा रमण हरि बोल

जय जय राधा रमण हरि बोल

जय जय राधा रमण

जय जय राधा रमण

जय जय राधा रमण

जय जय राधा रमण

जय जय राधा रमण

जय जय राधा रमण

हरि बोल

हरि बोल

हरि बोल

हरि बोल

हरि बोल

हरि बोल

हरि बोल

हरि बोल 

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