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मंगलवार, 19 नवंबर 2024

नगरी हो अयोध्या सी

 नगरी हो अयोध्या सी

यह कविता "नगरी हो अयोध्या सी" एक भक्ति गीत है जो भगवान राम की महिमा और उनके आदर्शों की सराहना करता है। इसमें लेखक या गायक ने भगवान राम के जीवनउनके परिवार और उनके आदर्शों से प्रेरित होकर एक समर्पित और आदर्श जीवन जीने की इच्छा व्यक्त की है। कविता में राम के द्वारा स्थापित जीवन मूल्यों और उनके परिवार के सदस्यों की विशेषताओं को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

1. अयोध्या और रघुकुल:गायक की इच्छा है कि वह ऐसी नगरी में रहे जो अयोध्या जैसी पवित्र और सम्मानित होऔर उसका घर रघुकुल के सम्मानित परिवार जैसा होजहाँ राम के चरणों में बसा हुआ एक जीवन हो। यहाँ अयोध्या को एक आदर्श नगरी के रूप में चित्रित किया गया हैजो श्रीराम की राजधानी थी।

2. राम के आदर्श:- यह गीत पूरी तरह से श्रीराम के आदर्शों पर आधारित है। गायक चाहता है कि उसकी संतानें भी लवकुश के जैसी होंउसकी नारी भी सीता जैसी होऔर उसकी श्रद्धा और भक्ति भी श्रवण और शबरी जैसी हो। यह राम के आदर्शों और उनके समर्थक व्यक्तियों का आदान-प्रदान करने वाला है।

3. राम की शक्ति और निष्ठा:गायक चाहता है कि उसकी निष्ठा हनुमान के जैसी होजो भगवान राम के प्रति अडिग विश्वास और भक्ति के प्रतीक हैं। उसे भी हनुमान जैसी शक्ति और निष्ठा प्राप्त होताकि वह अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना दृढ़ता से कर सके।

4. प्रभु की कृपा:गीत में राम के प्रति गहरी श्रद्धा और विश्वास का प्रतिबिंब हैऔर यह इच्छा जताई गई है कि प्रभु राम का आशीर्वाद हर समय उसके साथ रहेजैसे राम ने अपनी कृपा से हमेशा अपने भक्तों की रक्षा की।

5. आदर्श परिवार:यह गीत एक आदर्श परिवार की तस्वीर प्रस्तुत करता हैजिसमें माता कौशल्या जैसी ममता और लक्ष्मण जैसा भाई होऔर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवार का प्रमुख (स्वामी) श्रीराम जैसा हो।

अयोध्या का प्रतीक:- अयोध्या को एक आदर्श नगर के रूप में दर्शाया गया हैजो न केवल भौतिक रूप से सुंदर होबल्कि एक उच्चतम नैतिक और धार्मिक आदर्शों का प्रतीक हो।

रघुकुल का सम्मान:- रघुकुलयानी राम के वंश का आदर्शपरिवार और संस्कारों का प्रतीक है। गायक चाहता है कि उसका जीवन भी उसी तरह का होजैसे रघुकुल के लोगों का था।

- भक्ति और निष्ठा:- गायक अपनी श्रद्धानिष्ठा और भक्ति को भगवान राम और उनके समर्थकों के समान देखना चाहता है।

राम की कृपा और शक्ति:- गायक भगवान राम से अपनी जीवन नैया की कश्ती के खेवैया होने की प्रार्थना करता हैताकि उसकी जिंदगी भी प्रभु की कृपा से सुरक्षित और सुखमय हो।

भावनाएँ और संदेश:यह गीत भगवान राम के जीवन और उनके आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा देता है। गायक राम के जीवन से जुड़ी हर एक बात को आदर्श मानता हैऔर चाहता है कि उसके जीवन में भी वही गुण और सिद्धांत हों। यह गीत जीवन में भक्तिनिष्ठात्यागश्रद्धा और परिवार के महत्व को समझाता है।

इस गीत में भगवान राम के प्रति समर्पण और उनके जीवन को एक आदर्श मानकर उसे अपने जीवन में उतारने की भावना प्रमुख है। यह गीत किसी भी व्यक्ति को राम के आदर्शों के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता हैताकि वह अपने जीवन में शांतिसुख और समृद्धि ला सके।

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥

हो त्याग भारत जैसा,
सीता सी नारी हो ।
और लवकुश के जैसी
संतान हमारी हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥
श्रद्धा हो श्रवण जैसी,
शबरी सी भक्ति हो ।
और हनुमत के जैसी
निष्ठा और शक्ति हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥
मेरी जीवन नैया हो,
प्रभु राम खेवैया हो ।
और राम कृपा की सदा
मेरे सर छय्या हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥

सरयू का किनारा हो,
निर्मल जल धारा हो ।
और दरश मुझे भगवन
हर घडी तुम्हारा हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।

कौशल्या सी माई हो,
लक्ष्मण सा भाई ।
और स्वामी तुम्हारे जैसा,
मेरा रघुराई हो ॥
नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।

श्रद्धा हो श्रवण जैसी,
शबरी सी भक्ति हो ।
हनुमान के जैसे निष्ठा,
और शक्ती हो ॥

और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥ 

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