हे भोले शंकर पधारो बैठे छिप के कहाँ
"हे भोले शंकर पधारो" एक भावुक और
भक्ति से ओत-प्रोत गीत है जो भगवान शिव, विशेषकर गंगाधर महादेव की महिमा
और कृपा की प्रार्थना करता है। इस गीत में भक्त अपनी समस्याओं और कष्टों से उबरने
के लिए शिवजी की कृपा की कामना करता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए
निवेदन करता है।
गीत के प्रमुख भावनाओं को निम्नलिखित बिंदुओं में
समझा जा सकता है:
1.
शिव की कृपा की प्रार्थना: गीत की
शुरुआत में भक्त भगवान शिव से आग्रह करता है कि वे अपने गंगा के साथ पधारें,
क्योंकि भक्त प्यासे हैं और गंगा जल से ही उन्हें शांति और मुक्ति
की प्राप्ति हो सकती है। यहाँ गंगा जल का प्रतीक है शुद्धता, जीवनदायिनी शक्ति और शिव के साथ उनकी दिव्य कृपा का।
2.
शिव और गंगा का संबंध: गीत में
भगवान शिव के गंगा के साथ संबंध का उल्लेख किया गया है। महर्षि भगीरथ की तपस्या के
कारण भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया था, जिससे
सगर के पुत्रों को मुक्ति मिली थी। यह घटना भगवान शिव की महानता और उनके भक्तों के
प्रति करुणा का प्रतीक है।
3.
भक्ति और विश्वास की शक्ति: गीत में
यह भी बताया गया है कि शिव पर विश्वास रखने से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
भक्त भगवान शिव से अपनी इच्छाओं की पूर्ति और मुक्ति की कामना करता है। वह शिव के
गंगाजल की महिमा के साथ-साथ अपने जीवन की कठिनाईयों से उबरने की प्रार्थना करता
है।
4.
कष्टों का निवारण: भक्त
भगवान शिव से यह आग्रह करता है कि उनके जीवन के कष्टों और परेशानियों का अंत हो,
और वह अपनी तपस्या का फल पाकर शांति और आशीर्वाद प्राप्त करें। यह
भक्त की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है कि भगवान शिव के बिना कुछ भी संभव नहीं
है, और वह हर कठिनाई को अपने भक्तों से दूर कर सकते हैं।
5.
नंदी की सौगंध: गीत में
नंदी की सौगंध का उल्लेख किया गया है, जो भगवान शिव के वाहन
हैं। यह भक्त का श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता है कि भगवान शिव उनके साथ हैं और
उनके जीवन के हर पहलू में उनकी मदद करेंगे।
6.
भोले शंकर के प्रति विश्वास और समर्पण: गीत का
एक महत्वपूर्ण भाव यह है कि भक्त भगवान शिव से पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ
अपनी समस्याओं का समाधान चाहता है। वह कहता है कि अगर उसकी मनोकामना पूरी नहीं
होती तो वह भगवान शिव के नाम का प्रचार नहीं करेगा, जो उनके
प्रति उसकी अडिग श्रद्धा को प्रकट करता है।
कुल मिलाकर, यह गीत भगवान शिव की महिमा,
उनके प्रति श्रद्धा और विश्वास को व्यक्त करता है। यह दर्शाता है कि
भगवान शिव अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने वाले, जीवन को
सहज बनाने वाले और हमेशा उनकी मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं। गीत में एक गहरी
भक्ति और शिव के प्रति अपार प्रेम दिखाई देता है।
हे भोले
शंकर पधारो बैठे छिप के कहाँ ।
गंगा जटा में तुम्हारी, हम प्यासे यहाँ
॥
महा सती के पति मेरी सुनो वंदना ।
आओ मुक्ति के दाता पड़ा संकट यहाँ ॥
बगीरथ को गंगा प्रभु तुमने दी थी,
सगर जी के पुत्रों को मुक्ति मिली थी ।
नील कंठ महादेव हमें है भरोसा है,
इच्छा तुम्हारी बिना कुछ भी नहीं होता ॥
हे भोले शम्भू पधारो किस ने रोके वहां,
आयो भसम रमयिया सब को तज के यहाँ ॥
मेरी तपस्या का फल चाहे लेलो,
गंगा जल अब अपने भक्तो को दे दो ।
प्राण पखेरू कहीं प्यासा उड़ जाए ना,
कोई तेरी करुना पे उंगली उठाए ना ॥
भिक्षा मैं मांगू जन कल्याण की,
इच्छा करो पूरी गंगा सनान की ॥
अब ना देर करो, आ के कष्ट हरो,
मेरी बात रख लो, मेरी लाज रख लो ॥
हे भोले गंगधार पधारो, डोरी टूट जाए ना,
मेरा जग में नहीं कोई तुम्हारे बिना ॥
नंदी की सौगंध तुमे, वास्ता कैलाश का,
बुझ ना देना दीया मेरे विशवास का ।
पूरी यदि आज ना हुई मनोकामना,
फिर दीनबंधू होगा तेरा नाम ना ।
भोले नाथ पधारो, तुमने तारा जहां,
आओ महा सन्यासी अब तो आ जाओ ना ॥
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