जय भोले, जय भंडारी, तेरी है महिमा न्यारी
"जय भोले, जय भंडारी" एक लोकप्रिय भक्ति गीत है जो भगवान शिव की महिमा
और उनके अद्वितीय गुणों को सराहता है। यह गीत भगवान शिव को "भोलेनाथ" और
"भंडारी" के रूप में संबोधित करता है, जो उनकी सरलता, करुणा और समर्पण का प्रतीक हैं। इस गीत में शिव के दिव्य रूप, उनकी शक्ति और भक्तों के प्रति उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।
गीत के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन निम्नलिखित है:
1.
भगवान शिव की महिमा: गीत की
शुरुआत में भगवान शिव की महानता का वर्णन किया गया है। "तेरी है महिमा
न्यारी" का अर्थ है कि शिव की महिमा पूरी दुनिया से परे और अद्वितीय है। उनके
बारे में जो भी कहा जाए, वह अपर्याप्त है। शिव की शक्ति,
कृपा और उपकार की कोई सीमा नहीं है।
2.
शिव का सर्वव्यापी रूप: गीत में
यह कहा गया है कि भगवान शिव हर कण में समाए हुए हैं – जल में, थल में, नभ में, और पवन में।
इसका मतलब यह है कि भगवान शिव का अस्तित्व और उनकी शक्ति हर जगह व्याप्त है। उनका
रूप और उनकी छवि हर जगह दिखाई देती है।
3.
शिव का संगीत और धुन: "डमरू
की धुन में है, झूमे है सृष्टि" में भगवान शिव के डमरू
की ध्वनि का उल्लेख किया गया है, जो समग्र सृष्टि को अपने
ताल पर नचाती है। यह भगवान शिव की शक्ति और उनके प्रभाव को दर्शाता है, जो पूरी सृष्टि को गतिशील बनाता है।
4.
शिव की कृपा और वरदान: गीत में
यह उल्लेख किया गया है कि भगवान शिव हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। जो भी
शिव की पूजा करता है या उनका ध्यान करता है, उसे सुख,
समृद्धि और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। रावण को सोने की लंका देने
और भगवान शिव के कैलाश पर्वत पर वास करने का संदर्भ देने से शिव के उपकार और
भक्तों के प्रति उनके अनमोल योगदान को दर्शाया गया है।
5.
शिव की उपकारिता: भगवान
शिव को "दानी" और "वरदानी" के रूप में पुकारा गया है, जो हर किसी के कष्टों को दूर करने और उन्हें शांति और सुख देने के लिए
जाने जाते हैं। रावण की लंका को सोने से भरने का संदर्भ भगवान शिव की उदारता को
उजागर करता है। साथ ही, यह भी कहा गया है कि भगवान शिव का
उपकार अनमोल है और कोई अन्य देवता उनके जैसा उपकारी नहीं हो सकता।
6.
भोलेनाथ के प्रति भक्तों का श्रद्धा भाव: गीत में
बार-बार "जय भोले" और "जय भंडारी" के उद्घोष से यह स्पष्ट
होता है कि भक्त भगवान शिव के प्रति अपनी पूरी श्रद्धा और निष्ठा व्यक्त कर रहे
हैं। "भोले" शब्द का प्रयोग भगवान शिव की सरलता, मासूमियत
और सहजता को व्यक्त करता है, जो अपने भक्तों के कष्टों को
सरलता से हर लेते हैं।
कुल मिलाकर, यह गीत भगवान शिव की अद्वितीयता,
उनकी अनंत कृपा, और उनके भक्तों के प्रति अपार
प्रेम का उत्सव है। यह भक्ति गीत भगवान शिव के गुणों को श्रवण करने, उनका ध्यान करने और उनकी उपासना में अपनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए प्रेरित
करता है।
जय भोले, जय भंडारी, तेरी है महिमा न्यारी
जय भोले, जय भंडारी, तेरी
है महिमा न्यारी
तेरी मोहनी मूरत लगे है प्यारी
जय भोले, जय भंडारी, तेरी है महिमा न्यारी
तेरी मोहनी मूरत लगे है प्यारी
जय भोले, जय भंडारी, तेरी
है महिमा न्यारी
कण-कण में है तेरा वास प्रभु
है तीनों लोक में तू ही तू
जल में है, थल में है, नभ में
पवन में है, तेरी छवि है समाई
डमरू की धुन में है, झूमे है सृष्टि
महिमा ये कैसी रचाई
तेरी जय-जय करे दुनिया सारी
जय भोले, जय भंडारी, तेरी
है महिमा न्यारी
जिसने भी तेरा ध्यान किया
उसको सुख का वरदान दिया
दानी है, वरदानी है, भोले बाबा
है भक्तों पे उपकार तेरा
रावण को दे डाली सोने की लंका
किया आप परबत पे डेरा
नहीं दूजा कोई तुमसा है उपकारी
जय भोले, जय भंडारी, तेरी
है महिमा न्यारी
जय भोले, जय भंडारी, तेरी
है महिमा न्यारी
तेरी मोहनी मूरत लगे है प्यारी
जय भोले, जय भंडारी, तेरी
है महिमा न्यारी
जय भोले, जय भंडारी, तेरी
है महिमा न्यारी
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