"सुनो सुनो एक कहानी सुनो" एक लोकप्रिय
भक्ति गीत है, जो माँ की महिमा और भक्तों के प्रति उनकी
ममता को बयां करता है। यह गीत एक भक्त की कहानी पर आधारित है, जो अपनी माँ के प्रति अपार श्रद्धा और भक्ति रखता है। यह गीत माँ के प्रति
भक्त की विश्वास, त्याग, और
भक्ति को प्रस्तुत करता है।
गीत की शुरुआत होती
है एक आमंत्रण से, जहाँ गायक श्रोताओं को एक कहानी
सुनाने का आह्वान करता है। यह कहानी एक भक्त की है, जो
कटरे नामक स्थान पर रहता था और हमेशा माँ के गुण गाता था। एक दिन भैरव नामक
व्यक्ति ने उससे कहा कि वह अपने घर कई साधुओं के साथ भोजन के लिए आएगा। भक्त को
चिंता हुई कि वह खुद भूखा था, तो साधुओं का आदर कैसे
करेगा। तब माँ ने उसे आश्वस्त किया कि वह चिंता न करे, वह
सभी को भोजन देगी।
जब भैरव और साधु
भोजन के लिए आए, तो भैरव ने माँ से माँस और
मदिरा लाने की मांग की, लेकिन माँ ने उसे सबक सिखाया।
वह अपने भक्त की रक्षा करने के लिए एक चमत्कार दिखाती है, जिससे भैरव का सर अलग हो जाता है। इसके बाद भैरव का सर जहां गिरा, वहां भैरव मंदिर बना।
गीत में माँ की
महिमा और भक्त की निष्ठा को बहुत सुंदर रूप से प्रस्तुत किया गया है। यह गीत यह
दर्शाता है कि माँ की ममता अनमोल है और वह अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए हर
स्थिति में उन्हें मार्गदर्शन देती हैं।
- माँ की ममता और भक्ति का महत्व।
- जब भक्त सच्चे दिल से माँ से प्रार्थना करता है, तो वह उसकी हर मुश्किल को दूर कर देती है।
- गीत का संदेश है कि माँ की महिमा अपरंपार है, और उनकी कृपा से ही भक्तों को हर संकट से मुक्ति मिलती है।
यह गीत न केवल
भक्तों को माँ की भक्ति और महिमा का एहसास कराता है, बल्कि उनके आत्मविश्वास और भक्ति को भी प्रोत्साहित करता है।
सुनो सुनो, सुनो सुनो
सुनो सुनो एक कहानी
सुनो
सुनो सुनो एक कहानी
सुनो
ना राजा की ना रानी
की
ना आग हवा ना पानी
की
ना कृष्णा की ना
राधा रानी की
दूध छलकता है आँचल
से हो ओ ओ
दूध छलकता है आँचल
से
आँख से बरसे पानी
माँ की ममता की है
ये कहानी
सुनो सुनो, सुनो सुनो...
एक भक्त जो दिन हिन
था
कटरे में रहता था
माँ के गुण गाता था
माँ के चरण सदा
कहता था
सुनो सुनो सुनो
सुनो
एक बार भैरव ने
उससे कहा की कल आएंगे
कई साधुओ सहित
तुम्हारे घर खाना खाएंगे
माँ के भक्त ने
सोचा कैसे उनका आदर होगा
बिन भोजन के
साधुजनों का बड़ा निरादर होगा
सुनो सुनो, सुनो सुनो
माता से विनती की
उसने अन्न कहाँ से लाऊँ
मैं तो खुद भूखा
हूँ भोजन कैसे उन्हें खिलाऊँ
माँ ने कहा तू
चिंता मत कर कल तु उन्हें बुलाना
उनके साथ ये सारा
गाँव खाएगा तेरा खाना
सुनो सुनो, सुनो सुनो
नमन किया उसने माता
को आ गया घर बेचारा
दूजे दिन देखा क्या
उसने भरा है सब भंडारा
सुनो सुनो, सुनो सुनो
उस भैरव ने जिसने
ये सारा षडयंत्र रचाया
कई साधुओ सहित
जीमने उसके घर पे आया
अति शुद्ध भोजन को
देख के बोला माँस खिलाओ
जाओ हमारे लिए कहीं
से मदिरा ले कर आओ
सुनो सुनो, सुनो सुनो
आग बबूला हो गया जब
उसने देखा भंडारा
क्रोध से भरके जोर
से उसने माता को ललकारा
माँ आई तो उसने कस
के माँ के हाथ को पकड़ा
हाथ छुड़ा कर भागी
माता देख रहा था कटरा
अपनी रक्षा के
खातिर एक चमत्कार दिखलाया
वो अस्थान छुपी जहा
माता गरबजून कहलाया
नौ मास का छुपकर
माँ ने वही समय गुजारा
समय हुआ पूरा तब
माँ ने भैरव को संहारा
धड़ से सर को जुदा
किया थी ज्वाला माँ के अंदर
जहा गिरा सर भैरब
का वहां बना है भैरव मंदिर
सुनो सुनो, सुनो सुनो
अपरम्पार है माँ की
महिमा जो कटरे में आये
माँ के दर्शन करके
फिर भैरव के मंदिर जाए
सुनो सुनो सुनो
सुनो, सुनो सुनो सुनो सुनो
सुनो सुनो एक कहानी
सुनो
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