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शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

ऐ मेरे कान्हा, भूल न जाना

ऐ मेरे कान्हाभूल न जाना

"ऐ मेरे कान्हाभूल न जाना" एक गहरी भक्ति भावना से भरा हुआ भजन हैजो भगवान श्री कृष्ण के प्रति भक्त की अपार श्रद्धा और विश्वास को व्यक्त करता है। इस भजन में भक्त अपने ईश्वर से निवेदन करता है कि वह कभी भी उसे न भूलें और हमेशा अपनी कृपा से उसका साथ दें। भजन में भगवान कृष्ण के अद्वितीय गुणउनकी लीलाएंऔर उनके प्रति भक्त की अडिग श्रद्धा को बड़े सुंदर तरीके से व्यक्त किया गया है। आइए इस भजन के प्रमुख अंशों पर एक विस्तृत नजर डालते हैं:

आस है तू मेरीमैं तेरे आसरे:- यह पंक्ति एक भक्त की अत्यधिक भक्ति और विश्वास को दर्शाती है। भक्त कहता है कि उसकी सारी उम्मीदेंउसकी सारी आशाएं भगवान श्री कृष्ण पर टिकी हुई हैं। वह पूरी तरह से कृष्ण के आसरे में है और उन्हें अपनी रक्षा और मार्गदर्शन के लिए पुकारता है।

रात कली जो हैप्रथा बन जायेगी:- यहाँ पर भक्त अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की बात कर रहा है। रात का काला अंधकारजो अस्थायी रूप से किसी कठिनाई या समस्या का प्रतीक हैवह भगवान की कृपा से समाप्त हो जाएगा। जब भगवान चाहते हैंतो कोई भी मुश्किल केवल उनके आशीर्वाद से हल हो सकती है।

तू बना ले अगरबात बन जायेगी:- यह पंक्ति एक भक्त का विश्वास है कि अगर भगवान चाहें तो कोई भी कठिन कार्य आसानी से पूरा हो सकता है। यह कृष्ण के कृपालु स्वभाव को दर्शाती है कि वे अपने भक्तों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैंबस भक्त को पूरी श्रद्धा से उनसे जुड़ने की आवश्यकता है।

मन-सुदामा तड़प के पुकारे तुझे:- यहाँ भक्त सुदामा के उदाहरण से जुड़कर कृष्ण के प्रति अपनी तड़प और चाहत को व्यक्त कर रहा है। सुदामा ने अपनी गरीबी के बावजूद भगवान श्री कृष्ण से स्नेह किया थाऔर भगवान ने उनकी महान भक्ति के बदले उनका उद्धार किया। यह पंक्ति यह दर्शाती है कि भगवान अपने भक्तों के दिलों की पुकार कभी नहीं नकारते।

नांगे पानवोन हारी दौड़े आना:- इस पंक्ति में भगवान कृष्ण के प्रति भक्त की गहरी भक्ति और विश्वास व्यक्त किया गया है। "नांगे पानवोन हारी" का अर्थ है कि जैसे भगवान कृष्ण ने कभी भी अपने भक्तों को निराश नहीं कियावैसे ही भक्त चाहता है कि जब वह संकट में होतो कृष्ण दौड़ते हुए उसकी मदद करें।

अंतरा :- यह अंतरा भगवान कृष्ण की लीलाओं का स्मरण कराता है:

·       "एक उंगली पर पर्वत उठाया प्रभु" – यह पंक्ति भगवान कृष्ण के अद्वितीय बल को दर्शाती हैजैसे उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर अपने भक्तों की रक्षा की।

·       "डूबती आस को था बचाया प्रभु" – कृष्ण ने अपनी लीलाओं से संकट में फंसे हुए लोगों की उम्मीद को बचाया। यह पंक्ति बताती है कि भगवान अपने भक्तों की आस को कभी टूटने नहीं देते।

·       "कौरवों की सभा जब अधर्मी हुई" – जब कौरवों ने पांडवों के साथ अन्याय किया और उनकी सभा में अधर्म हुआतब भगवान ने अपनी विराट रूप से उनके अधर्म को नष्ट किया।

·       "रूप विक्राल तूने दिखाया प्रभु" – यहाँ भगवान कृष्ण के विराट रूप का उल्लेख हैजो उन्होंने अर्जुन को गीता के संवाद के दौरान दिखाया। भगवान का यह रूप अत्यधिक भव्य और दैवीय था।

·       "सारी लीलाएं हैं तुझसे ही लीलाधर" – भगवान कृष्ण की सारी लीलाएंउनके चमत्कारी कार्यउनके आदर्श और उनका जीवन पूरी तरह से उनकी दिव्यता और महिमा से भरा हुआ है।

हम अभागों पे भी श्याम रखना नजर:- यह पंक्ति भक्त के दिल से निकला एक निवेदन हैजिसमें वह भगवान श्री कृष्ण से अपनी कृपा और आशीर्वाद की याचना करता है। भक्त अपनी कृतियों और परिस्थितियों को लेकर स्वयं को अभागा महसूस करता हैलेकिन भगवान से उसकी उम्मीद रहती है कि वह कभी भी अपनी कृपा से उसे न छोड़े।

प्रहार वचन प्रेम का सब सेज तोड़ दें:- यह पंक्ति बताती है कि भगवान का प्रेम और आशीर्वाद इतनी ताकतवर होते हैं कि वे सभी बंधनोंसंकटों और कठिनाइयों को तोड़कर अपने भक्तों को सुखशांति और उद्धार प्रदान करते हैं।

जब सहारे जगत के सभी छोड़ दें:- इसका मतलब है कि जब इस संसार में सभी लोग और वस्तुएं हमें असहाय महसूस कराती हैंतब केवल भगवान श्री कृष्ण ही ऐसे हैंजो अपने भक्तों का साथ नहीं छोड़ते। वे हमेशा अपने भक्तों के सहारे होते हैंचाहे परिस्थिति जैसी भी हो।

हाथ करुणा का मोहन बढ़ाना:- यह पंक्ति भगवान कृष्ण से करुणा और दया का हाथ बढ़ाने की प्रार्थना है। "मोहन" भगवान कृष्ण का एक नाम हैऔर भक्त उनसे कृपा की याचना कर रहा है कि वह अपनी करुणा का हाथ आगे बढ़ाएं और उन्हें बचाएं।

ऐ मेरे कान्हाभूल न जाना:- यह अंतिम पंक्ति भगवान श्री कृष्ण से एक अत्यधिक भावुक निवेदन है। भक्त कहता है कि चाहे वह किसी भी परिस्थिति में होकृपया भगवान उसे कभी न भूलें और हमेशा उसकी मदद करें।

यह भजन भगवान श्री कृष्ण के प्रति अत्यधिक श्रद्धाविश्वास और भक्ति का प्रतीक है। भक्त भगवान कृष्ण से यह प्रार्थना करता है कि वे कभी उसे न भूलें और हमेशा अपनी कृपा से उसका साथ दें। इस भजन में भगवान के उन अद्वितीय गुणों का उल्लेख किया गया हैजिनके कारण वह अपने भक्तों के लिए कभी भी तैयार रहते हैं। यह भजन हमें यह सिखाता है कि भक्ति का मार्ग विश्वासप्रेम और आस्था से भरा हुआ हैऔर भगवान का प्रेम हमारे जीवन में हर मुश्किल को आसान बना सकता है।

आस है तू मेरी

मैं तेरे आसरे..

ध्यान रखना मेरा

हे कन्हैया मेरे..

रात कली जो है

प्रथा बन जायेगी..

तू बना ले अगर

बात बन जायेगी..

मन-सुदामा तड़प के

पुकारे तुझे,

नांगे पानवोन हारी

दौड़े आना!

हे मेरे कान्हाभूल ना जाना!

अंतरा-

एक उंगली पर पर्वत उठाया प्रभु..

डूबती आस को था बचाया प्रभु..

कौरवों की सभा जब अधर्मी हुई,

रूप विक्राल तूने दिखाया प्रभु..

सारी लीलाएं हैं

तुझसे ही लीलाधर..

हम अभागों पे भी

श्याम रखना नजर..

प्रहार वचन प्रेम का सब सेज तोड़ दें..

जब सहारे जगत के सभी छोड़ दें..

हाथ करुणा का मोहन बढ़ाना

ऐ मेरे कान्हाभूल न जाना

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