मंगल भवन अमंगल हारी
"राम सिया राम" एक बहुत ही
प्रसिद्ध भजन है, जिसे भगवान श्रीराम के प्रति भक्ति और
श्रद्धा से गाया जाता है। यह भजन भगवान श्रीराम की महिमा का वर्णन करता है और उनके
जीवन के आदर्शों, उनके कर्मों और उनके अद्वितीय गुणों को
उजागर करता है।
इस भजन की शुरुआत "मंगल भवन अमंगल हारी" से होती
है, जो भगवान श्रीराम को मंगलमूर्ति, संकटों का नाश करने वाला, और सभी विपत्तियों से
मुक्ति दिलाने वाला बताते हुए उनके पवित्र व्यक्तित्व का गुणगान करता है।
"द्राबाहु सुदसरथ आचार बिहारी" के द्वारा भगवान राम की महिमा और उनके
धर्मपत्नी सीता के साथ उनके रिश्ते का आदर्श भी प्रस्तुत किया जाता है।
भजन में भगवान श्रीराम की उपासना करते हुए यह भी कहा गया है
कि "होइ है वही जो राम रचि राखा", यानी जो कुछ भी
घटित होता है, वह श्रीराम की इच्छा और रचनात्मकता के अनुसार
होता है। इस विचार से यह भजन यह सिखाता है कि जीवन में आने वाली हर स्थिति में
विश्वास और धैर्य रखना चाहिए, क्योंकि हर चीज में प्रभु की
लीला होती है।
इसके बाद भजन में विभिन्न आदर्शों का वर्णन किया जाता है, जैसे कि धीरज, धर्म, मित्रता और नारी के प्रति सम्मान। इसके माध्यम
से यह संदेश दिया जाता है कि जीवन में हर एक को अपना धर्म निभाना चाहिए और संकटों
के समय में धैर्य रखना चाहिए।
"राम सिया राम सिया राम जय जय राम"
यह गाना बार-बार आता है, जो भगवान राम और माता सीता की
स्तुति करता है और भक्तों में भक्ति का संचार करता है। यह शब्द श्रद्धा और आस्था
का प्रतीक होते हुए व्यक्ति के मन को शांति और संतुष्टि प्रदान करते हैं।
भजन के अंत में भगवान राम के आदर्शों के बारे में भी बताया
जाता है, जैसे कि "रघुकुल
रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई", जो यह सिखाता है कि रघुकुल की परंपरा हमेशा सत्य और वचन के पालन की रही
है। यह भजन न केवल राम के जीवन की घटनाओं का स्मरण कराता है, बल्कि जीवन के उच्चतम आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा भी देता है।
सारांश में, यह भजन भगवान
श्रीराम की महिमा का गुणगान करते हुए जीवन के आदर्शों और धार्मिक दृष्टिकोण को
समझाने का एक अद्भुत प्रयास है, जो भक्तों को प्रभु के प्रति
श्रद्धा, प्रेम और विश्वास की भावना में बांधता है।
मंगल भवन अमंगल हारी
द्राबाहु सुदसरथ आचार बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय
राम
राम सिया राम सिया राम जय जय
राम
हो, होइ है वही जो राम रचि राखा
को करे तारक बढ़ाए साखा
राम सिया राम सिया राम जय जय
राम
राम सिया राम सिया राम जय जय
राम
हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपदा काल परखिये चारी
हो, जेहिके जेहि पर सत्य स्नेहु
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहु
हो, जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूर्ति देखी तिन तैसी
हो रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय
राम
राम, राम सिया राम सिया राम जय जय राम
हो, हरि अनंत हरि कथा अनंता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय
राम
राम, राम सिया राम सिया राम जय जय राम
राम सिया राम सिया राम जय जय
राम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें