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शनिवार, 4 जनवरी 2025

चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवर उठा

चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवर उठा

यह गाना "चल काँवरिया, चल काँवरिया" शिव भक्तों के बीच एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है जो विशेष रूप से कांवड़ यात्रा के दौरान गाया जाता है। यह गीत बाबा भोलेनाथ के प्रति श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करता है। गाने में कांवड़ियों का उत्साह और उनके निस्वार्थ भाव से शिव जी की पूजा करने का संदेश है।

गीत की शुरुआत में "चल काँवरिया, चल काँवरिया" का नारा है, जो कांवड़ यात्रा में चल रहे भक्तों की ताजगी और भक्ति को दर्शाता है। इस नारे में भक्तों को यह प्रेरणा दी जाती है कि वे अपने कांवड़ को उठाकर शिव के जलाभिषेक के लिए चलें। गीत में शिव जी के नाम का उच्चारण करते हुए यह बताया जाता है कि बाबा भोलेनाथ भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं और उन पर अपनी कृपा बरसाते हैं।

गीत में सुलतानगंज से गंगा जल भरने का जिक्र है, जो कांवड़ यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भक्तों का यह विश्वास है कि गंगा जल से शिव की पूजा करने से वे अपनी मुक्ति पा सकते हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

"बोल-बम" का मंत्र भी पूरे गीत में एक अहम स्थान पर है, जो भक्तों के मनोबल को और उत्साहित करता है। इसके साथ ही गीत में बैद्यनाथ बाबा की महिमा का भी गुणगान किया गया है, जिनकी कृपा से ही यह जगत चल रहा है।

गाने के अंत में एक सकारात्मक संदेश दिया जाता है, जिसमें कहा गया है कि शिव-शंभु के लिए जो भी कांवड़ लेकर आता है, भगवान उन्हें आशीर्वाद देते हैं और उनके जीवन में खुशियाँ और समृद्धि लाते हैं।

कुल मिलाकर, यह गाना कांवड़ यात्रा के महत्व को रेखांकित करता है और भक्तों को विश्वास और भक्ति के साथ शिव की पूजा करने के लिए प्रेरित करता है। यह गीत श्रद्धा, उत्साह, और एकता का प्रतीक है, जो कांवड़ यात्रा के दौरान पूरे देश में गाया जाता है।

जय भोले बाबा

चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवर उठा
(चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवर उठा)
काँवर उठा, नारा शिव का लगा, मन चाहा फल देंगे बाबा

चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवर उठा
(चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवर उठा)
काँवर उठा, नारा शिव का लगा, मन चाहा फल देंगे बाबा

ॐ हरि ॐ, ॐ हरि ॐ

सुलतानगंज में गंगा जल भर ले (ॐ हरि ॐ)
सुलतानगंज में गंगा जल भर ले
काँवर उठा के नंगे पांव चल दे
काँवर उठा के नंगे पांव चल दे
बोलो बोल-बम-बम तू भज ले शिवम्
अब वरदानी बाबा करेंगे सब पूरा

नदी हो, पहाड़ हो पांव ना रुके (ॐ हरि ॐ)
नदी हो, पहाड़ हो पांव ना रुके
नारा बोल-बम, बोल-बम का लगे
नारा बोल-बम, बोल-बम का लगे
तू शिव का कहार, वही बेड़ा पार
तू चल से शिव जी को कँवर चढ़ा

बाबा बैद्यनाथ की है महीमा अपार (ॐ हरि ॐ)
बाबा बैद्यनाथ की है महीमा अपार
उन्हीं की दया से चल जग-संसार
उन्हीं की दया से चल जग-संसार
शिव-शंभु के लिए जो भी काँवर ला दे
दीप खुशियों के भोलेनाथ देते हैं जगा

चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवर उठा
काँवर उठा, नारा शिव का लगा, मन चाहा फल देंगे बाबा
(चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवरिया, चल काँवर उठा)
काँवर उठा, नारा शिव का लगा, मन चाहा फल देंगे बाबा

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