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शनिवार, 30 नवंबर 2024

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

 सुबह-सुबह ले शिव का नाम

"सुबह-सुबह ले शिव का नाम" एक लोकप्रिय भक्ति गीत हैजो भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति का संदेश देता है। इस गीत में भगवान शिव के महत्व को बताया गया है और यह व्यक्ति को उनके नाम का जाप करने के लिए प्रेरित करता है। गीत के बोल सरल और मंत्रमुग्ध करने वाले हैंजो भगवान शिव के परम रूप का अनुभव कराते हैं।

गीत का मुख्य संदेश है कि अगर व्यक्ति सुबह-सुबह शिव का नाम लेता है और उसकी भक्ति करता हैतो भगवान शिव उसकी मदद करने के लिए आएंगे और उसकी सभी परेशानियाँ दूर करेंगे। इसके अलावागीत में शिव के अद्भुत रूपों का भी वर्णन किया गया हैजैसे उनका नीलकंठ रूप (जो समुद्र मंथन से निकले विष को पीते हैं) और उनका परम ध्यानजिसमें वे सारे संसार की चिंता और दुःखों को नष्ट करते हैं।

गीत के अंतर्गत 'ॐ नमः शिवाय' जैसे शक्तिशाली मंत्रों का जप भी किया गया हैजो शिव के साथ आध्यात्मिक संबंध को मजबूत करने में मदद करते हैं। भगवान शिव के चरणों में सभी तीरथों और धामों का मिलना और उनकी भक्ति से मन को शांति मिलना इस गीत का संदेश है।

इस गीत के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि भगवान शिव के साथ भक्त का संबंध सच्चा और अडिग होता हैऔर उनके प्रति आस्था रखने से व्यक्ति को जीवन में शांतिसुख और समृद्धि मिलती है।

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

कर लेबंदेये शुभ काम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

कर लेबंदेये शुभ काम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

शिव आएँगे तेरे काम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

कर लेबंदेये शुभ काम

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

ख़ुद को राख लपेटे फिरते

औरों को देते धन-धाम

ख़ुद को राख लपेटे फिरते

औरों को देते धन-धाम

देवों के हित विष पी डाला

नीलकंठ को कोटि प्रणाम

नीलकंठ को कोटि प्रणाम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

शिव आएँगे तेरे काम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

कर लेबंदेये शुभ काम

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

शिव के चरणों में मिलते हैं

सारी तीरथचारों धाम

शिव के चरणों में मिलते हैं

सारी तीरथचारों धाम

करनी का सुख तेरे हाथों

शिव के हाथों में परिणाम

शिव के हाथों में परिणाम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

शिव आएँगे तेरे काम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

कर लेबंदेये शुभ काम

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

शिव के रहते कैसी चिंता?

साथ रहे प्रभु आठों याम

शिव के रहते कैसी चिंता?

साथ रहे प्रभु आठों याम

शिव को भज लेसुख पाएगा

मन को आएगा आराम

मन को आएगा आराम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

शिव आएँगे तेरे काम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

कर लेबंदेये शुभ काम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

शिव आएँगे तेरे काम

सुबह-सुबह ले शिव का नाम

कर लेबंदेये शुभ काम

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय

शुक्रवार, 29 नवंबर 2024

आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा

 आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा

"जयकारा शेरावाली दा" एक भक्ति गीत है जो देवी दुर्गा या माँ शेरावाली के प्रति श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करता है। यह गीत विशेष रूप से माँ दुर्गा की पूजा के दौरान गाया जाता हैऔर इसमें भक्त अपनी प्रेम और भक्ति भाव से माँ से आशीर्वाद की कामना करते हैं।

इस गीत में मुख्य रूप से माँ शेरावाली के विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन किया गया है और भक्तों के दिल की पुकार को प्रस्तुत किया गया है। गीत की शुरुआत "जयकारा शेरावाली दा" से होती हैजो माँ के प्रति एक आह्वान हैऔर यह शब्द विशेष रूप से उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक हैं।

गीत में भक्त कहते हैं"आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा," जो माँ से उनके आशीर्वाद और दर्शन की प्रार्थना है। यह वाक्य बार-बार गाया जाता हैजिससे भक्तों की गहरी भक्ति और माँ के प्रति आस्था का पता चलता है।

गीत में "शेरावालीमेहरांवालीजोतांवाली माँ" के शब्दों से माँ के विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन किया गया है। शेरावाली (जो शेर पर सवारी करती हैं) को शक्ति और वीरता का प्रतीक माना जाता हैजबकि मेहरांवाली का मतलब है वह माँ जो कृपा और आशीर्वाद की वर्षा करती हैं और जोतांवाली (जो दीप की तरह प्रकाश देती हैं) का संकेत है कि माँ जीवन में अंधकार को दूर करने वाली हैं।

गीत के अन्य हिस्सों में भक्तों की जीवन में माँ के योगदान का उल्लेख किया गया है। "तूने ही पाला है मुझकोतू ही मुझे संभाले," जैसी पंक्तियाँ यह दर्शाती हैं कि माँ ने भक्तों को जीवन के सभी कठिन दौर से पार किया है और उनका जीवन रोशन किया है।

इसके अलावा"प्रेम से बोलो (जय माता दी)," जैसे उद्घोष से भक्तों का उत्साह और भक्ति भावना व्यक्त होती है। ये शब्द न केवल माँ से जुड़ी श्रद्धा को प्रकट करते हैंबल्कि एक सामूहिक आह्वान का रूप भी लेते हैंजहां सभी लोग मिलकर माँ का जयकारा लगाते हैं।

गीत के अंत मेंभक्त माँ से अपनी विनती करते हैं कि वे उन्हें अपनी एक झलक दिखलाएँ और उनके जीवन को सजे हुए रूप में प्रकाशित करें।

इस प्रकार, "जयकारा शेरावाली दा" एक अत्यंत भक्ति भाव से भरा हुआ गीत हैजो माँ दुर्गा की महिमा का बखान करते हुए उनके प्रति भक्तों की श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता है। यह गीत विशेष रूप से नवरात्रि जैसे पर्वों पर गाया जाता है और भक्तों को शांतिसमृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति का विश्वास दिलाता है।

जयकारा शेरावाली दा

हो-हो-हो

बोल सांचे दरवार की (जय!)

आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा

आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा

दिल ने पुकारा तू है मेरा सहारा माँ

(आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा)

(आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा)

होशेरावालिये

हो-हो-होमेहरांवाये

शेरावालीमेहरांवालीजोतांवाली माँ

(शेरावालीमेहरांवालीजोतांवाली माँ)

होआ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा

(आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा)

(आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा)

प्रेम से बोलो (जय माता दी)

सारे बोलो (जय माता दी)

मिल के बोलो (जय माता दी)

फिर से बोलो (जय माता दी)

मैंने मन से तेरी पूजा की है सांझ सवेरे

मुझको दर्शन दे के मैयाभाग जगा दे मेरे

मैंने मन से तेरी पूजा की है सांझ सवेरे

मुझको दर्शन दे के मैयाभाग जगा दे मेरे

(मुझको दर्शन दे के मैयाभाग जगा दे मेरे)

हो-हो-हो-हो-हो-हो-हो-होमैया मैया बोले मेरा

मैया मैया बोले मेरामन एक तारा माँ

आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा

(आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा)

(आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा)

प्रेम से बोलो (जय माता दी)

सारे बोलो (जय माता दी)

अरे मिल के बोलो (जय माता दी)

जोर से बोलो (जय माता दी)

तूने ही पाला है मुझकोतू ही मुझे संभाले

तूने ही मेरे जीवन मेंपल पल किये उजाले

तूने ही पाला है मुझकोतू ही मुझे संभाले

तूने ही मेरे जीवन मेंपल पल किये उजाले

(तूने ही मेरे जीवन मेंपल पल किये उजाले)

हो-हो-हो-हो-हो-हो-हो-होचरणों में तेरे मैंने

चरणों में तेरे मैंनेतन मन वारा माँ

आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा

(आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा)

(आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा)

प्रेम से बोलो (जय माता दी)

हो मैं नि सुनेया (जय माता दी)

सारे बोलो (जय माता दी)

मिल के बोलो (जय माता दी)

मान ले मेरी विनती मैयाएक झलक दिखला दे

रूप की शीतल किरणों से नयनो के द्वारा सजा दे

मान ले मेरी विनती मैयाएक झलक दिखला दे

रूप की शीतल किरणों से नयनो के द्वारा सजा दे

(रूप की शीतल किरणों से नयनो के द्वारा सजा दे)

हो-हो-हो-हो-हो-हो-हो-हो. नैनों को रूप तेरा

नैनों को रूप तेरालगता है प्यारा माँ

आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा

(आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा)

दिल ने पुकारा तू है मेरा सहारा माँ

आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा

(आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा)

जय माता दीजय माता दी

जय माता दीजय माता दी

कष्ट निवारे (शेरावाली)

पार लगादे (शेरावाली)

है दुःख हरनी (शेरावाली)

बिगड़ी बना दे (शेरावाली)

प्रेम से बोलो (जय माता दी)

ओ सारे बोलो (जय माता दी)

अरे मिलके बोलो (जय माता दी)

जोर से बोलो (जय माता दी)

जय माता दी (जय माता दी)

जय माता दीजय माता दी

शेरावालिये

मेहरांवालिये

पहाड़ावालिये

ज्योतांवालिये

लाटावालिये

गुरुवार, 28 नवंबर 2024

मैं बालक तू माता शेरावालिए

मैं बालक तू माता शेरावालिए 

"मैं बालक तू माता शेरावालिए" एक भक्ति गीत हैजो माँ शेरावाली (माँ दुर्गा) की महिमा का बखान करता है। इस गीत में भक्त अपनी श्रद्धा और अटूट विश्वास के साथ माँ शेरावाली से जुड़ा हुआ महसूस करता है।

गीत की शुरुआत में गायक यह कहता है कि वह माँ शेरावाली का बालक है और उनका यह संबंध अटूट है। माँ शेरावाली के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया हैजैसे "शेरावालिए माँ", "पहाड़ावालिए माँ", "मेहरावालिए माँ", "ज्योतांवालिए माँ"जो माँ के दिव्य और सशक्त रूपों को दर्शाते हैं।

गीत में यह भी वर्णित है कि माँ शेरावाली की ममताप्यार और आशीर्वाद से भक्त को जीवन में साहसबुद्धि और ज्ञान मिला है। गायक माँ से मिली कृपा का अनुभव करता है और उनका आभार व्यक्त करता है।

इस भक्ति गीत में यह भावनाएँ प्रकट की गई हैं कि जब तक भक्त माँ शेरावाली के आशीर्वाद में हैतब तक उसका जीवन सही दिशा में रहेगा। वह यह महसूस करता है कि माँ के आशीर्वाद से उसका मस्तक ऊँचा हो गया है और जीवन में सफलता प्राप्त हो रही है।

गीत के अंत में भक्त अपनी समर्पण भावना को व्यक्त करता है और कहता है कि वह माँ की सेवा करने के लिए तैयार है। इस गीत में माँ शेरावाली के प्रति गहरी श्रद्धा और विश्वास व्यक्त किया गया है।

मैं बालक तू माता शेरावालिए,

है अटूट ये नाता शेरावालिए,

शेरावालिए माँपहाड़ावालिए माँ,

मेहरावालिए माँज्योतांवालिए माँ,

मैं बालक तु माता शेरावालिए,

है अटूट ये नाता शेरावालिए।।

तेरी ममता मिली है मुझको,

तेरा प्यार मिला है,

तेरे आँचल की छाया में,

मन का फूल खिला है,

तुने बुद्धि तुने साहस,

तुने बुद्धि तुने साहस,

तूने ज्ञान दिया,

मस्तक ऊँचा करके,

जीने के वरदान दिया माँ,

तू है भाग्य विधाता शेरावालिए,

मैं बालक तु माता शेरावालिए,

शेरावालिए माँपहाड़ावालिए माँ,

मेहरावालिए माँज्योतांवालिए माँ,

मैं बालक तु माता शेरावालिए,

है अटूट ये नाता शेरावालिए।।

जब से दो नैनो में तेरी,

पावन ज्योत समाई,

मंदिर मंदिर तेरी मूरत,

देने लगी दिखाई,

ऊँचे पर्वत पर मैंने भी,

ऊँचे पर्वत पर मैंने भी,

डाल दिया है डेरा,

निस करे जो तेरी सेवा,

मैं वो दास हूँ तेरा,

रहूँ तेरे गुण गाता शेरावालिए,

मैं बालक तु माता शेरावालिए,

शेरावालिए माँपहाड़ावालिए माँ,

मेहरावालिए माँज्योतांवालिए माँ,

मैं बालक तु माता शेरावालिए,

है अटूट ये नाता शेरावालिए।।

मैं बालक तू माता शेरावालिए,

है अटूट ये नाता शेरावालिए,

शेरावालिए माँपहाड़ावालिए माँ,

मेहरावालिए माँज्योतांवालिए माँ,

मैं बालक तु माता शेरावालिए,

है अटूट ये नाता शेरावालिए।।

मंगलवार, 19 नवंबर 2024

नगरी हो अयोध्या सी

 नगरी हो अयोध्या सी

यह कविता "नगरी हो अयोध्या सी" एक भक्ति गीत है जो भगवान राम की महिमा और उनके आदर्शों की सराहना करता है। इसमें लेखक या गायक ने भगवान राम के जीवनउनके परिवार और उनके आदर्शों से प्रेरित होकर एक समर्पित और आदर्श जीवन जीने की इच्छा व्यक्त की है। कविता में राम के द्वारा स्थापित जीवन मूल्यों और उनके परिवार के सदस्यों की विशेषताओं को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

1. अयोध्या और रघुकुल:गायक की इच्छा है कि वह ऐसी नगरी में रहे जो अयोध्या जैसी पवित्र और सम्मानित होऔर उसका घर रघुकुल के सम्मानित परिवार जैसा होजहाँ राम के चरणों में बसा हुआ एक जीवन हो। यहाँ अयोध्या को एक आदर्श नगरी के रूप में चित्रित किया गया हैजो श्रीराम की राजधानी थी।

2. राम के आदर्श:- यह गीत पूरी तरह से श्रीराम के आदर्शों पर आधारित है। गायक चाहता है कि उसकी संतानें भी लवकुश के जैसी होंउसकी नारी भी सीता जैसी होऔर उसकी श्रद्धा और भक्ति भी श्रवण और शबरी जैसी हो। यह राम के आदर्शों और उनके समर्थक व्यक्तियों का आदान-प्रदान करने वाला है।

3. राम की शक्ति और निष्ठा:गायक चाहता है कि उसकी निष्ठा हनुमान के जैसी होजो भगवान राम के प्रति अडिग विश्वास और भक्ति के प्रतीक हैं। उसे भी हनुमान जैसी शक्ति और निष्ठा प्राप्त होताकि वह अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना दृढ़ता से कर सके।

4. प्रभु की कृपा:गीत में राम के प्रति गहरी श्रद्धा और विश्वास का प्रतिबिंब हैऔर यह इच्छा जताई गई है कि प्रभु राम का आशीर्वाद हर समय उसके साथ रहेजैसे राम ने अपनी कृपा से हमेशा अपने भक्तों की रक्षा की।

5. आदर्श परिवार:यह गीत एक आदर्श परिवार की तस्वीर प्रस्तुत करता हैजिसमें माता कौशल्या जैसी ममता और लक्ष्मण जैसा भाई होऔर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवार का प्रमुख (स्वामी) श्रीराम जैसा हो।

अयोध्या का प्रतीक:- अयोध्या को एक आदर्श नगर के रूप में दर्शाया गया हैजो न केवल भौतिक रूप से सुंदर होबल्कि एक उच्चतम नैतिक और धार्मिक आदर्शों का प्रतीक हो।

रघुकुल का सम्मान:- रघुकुलयानी राम के वंश का आदर्शपरिवार और संस्कारों का प्रतीक है। गायक चाहता है कि उसका जीवन भी उसी तरह का होजैसे रघुकुल के लोगों का था।

- भक्ति और निष्ठा:- गायक अपनी श्रद्धानिष्ठा और भक्ति को भगवान राम और उनके समर्थकों के समान देखना चाहता है।

राम की कृपा और शक्ति:- गायक भगवान राम से अपनी जीवन नैया की कश्ती के खेवैया होने की प्रार्थना करता हैताकि उसकी जिंदगी भी प्रभु की कृपा से सुरक्षित और सुखमय हो।

भावनाएँ और संदेश:यह गीत भगवान राम के जीवन और उनके आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा देता है। गायक राम के जीवन से जुड़ी हर एक बात को आदर्श मानता हैऔर चाहता है कि उसके जीवन में भी वही गुण और सिद्धांत हों। यह गीत जीवन में भक्तिनिष्ठात्यागश्रद्धा और परिवार के महत्व को समझाता है।

इस गीत में भगवान राम के प्रति समर्पण और उनके जीवन को एक आदर्श मानकर उसे अपने जीवन में उतारने की भावना प्रमुख है। यह गीत किसी भी व्यक्ति को राम के आदर्शों के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता हैताकि वह अपने जीवन में शांतिसुख और समृद्धि ला सके।

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥

हो त्याग भारत जैसा,
सीता सी नारी हो ।
और लवकुश के जैसी
संतान हमारी हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥
श्रद्धा हो श्रवण जैसी,
शबरी सी भक्ति हो ।
और हनुमत के जैसी
निष्ठा और शक्ति हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥
मेरी जीवन नैया हो,
प्रभु राम खेवैया हो ।
और राम कृपा की सदा
मेरे सर छय्या हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।
और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥

सरयू का किनारा हो,
निर्मल जल धारा हो ।
और दरश मुझे भगवन
हर घडी तुम्हारा हो ॥

नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।

कौशल्या सी माई हो,
लक्ष्मण सा भाई ।
और स्वामी तुम्हारे जैसा,
मेरा रघुराई हो ॥
नगरी हो अयोध्या सी,
रघुकुल सा घराना हो ।

श्रद्धा हो श्रवण जैसी,
शबरी सी भक्ति हो ।
हनुमान के जैसे निष्ठा,
और शक्ती हो ॥

और चरण हो राघव के,
जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥ 

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