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रविवार, 20 अक्टूबर 2024

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में

"श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में" एक पूजनीय भक्ति गीत है जो भगवान राम और सीता के बीच के गहरे बंधन को खूबसूरती से दर्शाता है। गीत के बोल उस अटूट प्रेम और भक्ति को दर्शाते हैं जो भक्तों के मन में दिव्य युगल के लिए हैजो हिंदू संस्कृति में उनके आध्यात्मिक महत्व पर जोर देता है।

यह गीत अक्सर धार्मिक समारोहों और त्योहारों के दौरान गाया जाता हैजो ईश्वर के प्रति श्रद्धा और जुड़ाव की भावनाओं को प्रेरित करता है। यह न केवल राम और सीता की प्रेम कहानी का जश्न मनाता हैबल्कि उनके कर्तव्यसम्मान और भक्ति के आदर्शों का भी जश्न मनाता हैजो अनगिनत अनुयायियों के लिए नैतिक मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं।

संगीत की दृष्टि सेट्रैक में आमतौर पर मधुर धुनें होती हैं जो इसकी भावनात्मक गहराई को बढ़ाती हैंजिससे यह भजन प्रेमियों के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बन जाता है। कुल मिलाकरयह भक्ति गीत कई लोगों के दिलों में गूंजता हैउन्हें ईश्वर के भीतर मौजूद प्रेम और प्रतिबद्धता के पवित्र बंधन की याद दिलाता है।

 

ना चलाओ बाण,
व्यंग के ऐ विभिषण,
ताना ना सह पाऊं,
क्यूँ तोड़ी है ये माला,
तुझे ए लंकापति बतलाऊं,
मुझमें भी है तुझमें भी है,
सब में है समझाऊँ,
ऐ लंकापति विभीषणले देख,
मैं तुझको आज दिखाऊं।।

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में,
देख लो मेरे दिल के नगीने में।।

मुझको कीर्ति ना वैभव ना यश चाहिए,
राम के नाम का मुझ को रस चाहिए,
सुख मिले ऐसे अमृत को पीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में।।

अनमोल कोई भी चीज,
मेरे काम की नहीं,
दिखती अगर उसमे छवि,
सिया राम की नहीं ॥

राम रसिया हूँ मैंराम सुमिरण करूँ,
सिया राम का सदा ही मै चिंतन करूँ,
सच्चा आनंद है ऐसे जीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥

फाड़ सीना हैंसब को ये दिखला दिया,
भक्ति में मस्ती हैसबको बतला दिया,
कोई मस्ती नासागर को मीने में,
श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में ॥

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे,
देख लो मेरे दिल के नगीने में ॥

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