यह गीत "प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी" माता भवानी (या देवी दुर्गा) की महिमा को प्रस्तुत करता है और उनके भक्तों के समर्पण एवं आस्था का उत्सव है। यह गीत विशेष रूप से माता के दरबार की महिमा और उनकी कृपा की ओर इशारा करता है।
गीत
का सार:
1.
माता का दरबार: गीत की शुरुआत माता के
दरबार की सुंदरता और उसकी अनोखी महिमा से होती है। यह दर्शाता है कि हर व्यक्ति जो
भी मन में विचार और नीयत लेकर आता है, उसे वही मिलता है। माता का दरबार
एक पवित्र स्थान है, जहाँ भक्तों की आस्था और श्रद्धा का
सम्मान किया जाता है। "प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी"
की पंक्ति माता के दरबार की सुंदरता को और उसकी कृपा को व्यक्त करती है।
2.
भक्तों की कतार: गीत में भक्तों की लंबी
कतार का उल्लेख किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि माता के दरबार में हर कोई
अपनी समस्याओं और इच्छाओं के साथ आकर, माता के चरणों में
श्रद्धा निवेदित करता है। भक्तों की कतार प्रतीक है इस बात का कि माता का आशीर्वाद
पाने के लिए लाखों लोग आते हैं और उनके दरबार में आकर मन की शांति और आशीर्वाद
प्राप्त करते हैं।
3.
माता की उपस्थिति और आशीर्वाद: गीत में माता के
दरबार में हर जगह ज्योति का फैलाव, गंगा की धार और लाल फूलों के हार
से सजावट का वर्णन किया जाता है। यह दर्शाता है कि माता का दरबार न केवल शारीरिक
रूप से सुंदर है, बल्कि वहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा और
आशीर्वाद भी भक्तों को शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
4.
सावन माह और माता की पूजा: सावन का महीना
विशेष रूप से देवी की पूजा के लिए महत्त्वपूर्ण है, और इस गीत में माता की
पूजा की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है, जहाँ भक्त उनके
सामने झूला झूलते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह समय भक्तों के लिए
विशेष रूप से पूजनीय होता है।
5.
माता का सहारा: गीत में एक भावुक संदेश
भी है कि माता अपने भक्तों के लिए एकमात्र सहारा होती हैं। चाहे किसी का जीवन
कितना भी कठिन हो,
अगर वह माता के द्वार पर आकर श्रद्धा से प्रार्थना करता है, तो माता उसकी मदद जरूर करती हैं। "Lakkha को है
तेरा सहारा" का उल्लेख करते हुए, गीत यह बताता है कि
माता हर समय अपने भक्तों के साथ हैं और उनकी मदद करने के लिए तैयार रहती हैं।
6.
आध्यात्मिक समृद्धि और विश्वास: गीत के माध्यम
से यह भी स्पष्ट होता है कि माता की भक्ति और श्रद्धा से जीवन में सुख-शांति और
समृद्धि आती है। भक्त अपने जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान माता के आशीर्वाद
से पा सकते हैं।
समाप्ति: गीत का समापन
माता के दरबार की सुंदरता और भक्तों की आस्था को फिर से दोहराकर किया जाता है, जहां सभी
भक्त अपने विश्वास के साथ उनके दरबार में जाते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते
हैं। गीत अंत में यह संदेश देता है कि माता के द्वार पर आकर कोई भी व्यक्ति कभी
निराश नहीं होता, बल्कि उसे उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता
और सुख मिलता है।