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शनिवार, 25 जनवरी 2025

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता

 ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता

"ॐ जय लक्ष्मी माता" एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है जो देवी लक्ष्मी की महिमा का गान करता है। यह आरती देवी लक्ष्मी के गुणों, उनके वरदानों और उनकी कृपा के बारे में है। इस गीत के माध्यम से भक्त उनकी पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं।

आरती में देवी लक्ष्मी को जगत माता, सुख-समृद्धि की दाता, और हर प्रकार की अच्छाई का स्रोत बताया गया है। इस गीत में विभिन्न शेरों के माध्यम से देवी लक्ष्मी के रूपों और उनके प्रभावों का वर्णन किया जाता है।

1.      शक्ति और समृद्धि की देवी: देवी लक्ष्मी को सुख, संपत्ति, और धन देने वाली माना जाता है। भक्त यह प्रार्थना करते हैं कि उनके जीवन में समृद्धि का वास हो।

2.      देवी लक्ष्मी के विविध रूप: गीत में देवी लक्ष्मी के कई रूपों का उल्लेख किया गया है, जैसे उमा, रमा, ब्रह्माणी, और दुर्गा। यह संकेत देता है कि लक्ष्मी माता विभिन्न रूपों में साकार होती हैं और सभी रूपों में उनका आशीर्वाद मिलता है।

3.      भक्ति का फल: इस गीत में कहा गया है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से देवी लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे समृद्धि, सिद्धि, और सुख की प्राप्ति होती है।

4.      कर्म का प्रभाव: देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद से व्यक्ति के कर्मों का फल सकारात्मक होता है और उसके जीवन में उन्नति होती है।

5.      ध्यान और श्रद्धा: गीत में यह संदेश भी दिया गया है कि देवी लक्ष्मी का ध्यान करने से पाप समाप्त हो जाते हैं और मनुष्य को शांति और सुख की प्राप्ति होती है।

कुल मिलाकर, यह आरती देवी लक्ष्मी की उपासना का एक सुंदर और प्रेरणादायक रूप है, जो भक्तों को उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और आशीर्वाद पाने के लिए प्रेरित करती है। 

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, मैया जी को निसदिन सेवत
हर विष्णु धाता, ॐ जय लक्ष्मी माता

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता             
(मैया, तुम ही जग-माता)
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत (सूर्य-चंद्रमा ध्यावत)
नारद ऋषि गाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख, संपत्ति दाता
(मैया, सुख, संपत्ति दाता)
जो कोई तुमको ध्यावत (जो कोई तुमको ध्यावत)
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
(मैया, तुम ही शुभ दाता)
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी (कर्म प्रभाव प्रकाशिनी)
भवनिधि की त्राता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

जिस घर तुम रहती तः सब सद्गुण आता
(मैया, सब सद्गुण आता)
सब संभव हो जाता (सब संभव हो जाता)
मन नहीं घबराता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

तुम बिन यज्ञ ना होते, वस्त्र ना हो पाता
(मैया, वस्त्र ना हो पाता)
खान-पान का वैभव (खान-पान का वैभव)
सब तुमसे आता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
(मैया, क्षीरोदधि जाता)
रत्न चतुर्दश तुम बिन (रत्न चतुर्दश तुम बिन)
कोई नहीं पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता
(मैया, जो कोई नर गाता)
उर आनंद समाता (उर आनंद समाता)
पाप उतर जाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, मैया जी को निसदिन सेवत
हर विष्णु धाता, ॐ जय लक्ष्मी माता

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