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शनिवार, 25 जनवरी 2025

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता

 ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता

"ॐ जय लक्ष्मी माता" एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है जो देवी लक्ष्मी की महिमा का गान करता है। यह आरती देवी लक्ष्मी के गुणों, उनके वरदानों और उनकी कृपा के बारे में है। इस गीत के माध्यम से भक्त उनकी पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं।

आरती में देवी लक्ष्मी को जगत माता, सुख-समृद्धि की दाता, और हर प्रकार की अच्छाई का स्रोत बताया गया है। इस गीत में विभिन्न शेरों के माध्यम से देवी लक्ष्मी के रूपों और उनके प्रभावों का वर्णन किया जाता है।

1.      शक्ति और समृद्धि की देवी: देवी लक्ष्मी को सुख, संपत्ति, और धन देने वाली माना जाता है। भक्त यह प्रार्थना करते हैं कि उनके जीवन में समृद्धि का वास हो।

2.      देवी लक्ष्मी के विविध रूप: गीत में देवी लक्ष्मी के कई रूपों का उल्लेख किया गया है, जैसे उमा, रमा, ब्रह्माणी, और दुर्गा। यह संकेत देता है कि लक्ष्मी माता विभिन्न रूपों में साकार होती हैं और सभी रूपों में उनका आशीर्वाद मिलता है।

3.      भक्ति का फल: इस गीत में कहा गया है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से देवी लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे समृद्धि, सिद्धि, और सुख की प्राप्ति होती है।

4.      कर्म का प्रभाव: देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद से व्यक्ति के कर्मों का फल सकारात्मक होता है और उसके जीवन में उन्नति होती है।

5.      ध्यान और श्रद्धा: गीत में यह संदेश भी दिया गया है कि देवी लक्ष्मी का ध्यान करने से पाप समाप्त हो जाते हैं और मनुष्य को शांति और सुख की प्राप्ति होती है।

कुल मिलाकर, यह आरती देवी लक्ष्मी की उपासना का एक सुंदर और प्रेरणादायक रूप है, जो भक्तों को उनके जीवन में सुख, समृद्धि, और आशीर्वाद पाने के लिए प्रेरित करती है। 

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, मैया जी को निसदिन सेवत
हर विष्णु धाता, ॐ जय लक्ष्मी माता

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता             
(मैया, तुम ही जग-माता)
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत (सूर्य-चंद्रमा ध्यावत)
नारद ऋषि गाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख, संपत्ति दाता
(मैया, सुख, संपत्ति दाता)
जो कोई तुमको ध्यावत (जो कोई तुमको ध्यावत)
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
(मैया, तुम ही शुभ दाता)
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी (कर्म प्रभाव प्रकाशिनी)
भवनिधि की त्राता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

जिस घर तुम रहती तः सब सद्गुण आता
(मैया, सब सद्गुण आता)
सब संभव हो जाता (सब संभव हो जाता)
मन नहीं घबराता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

तुम बिन यज्ञ ना होते, वस्त्र ना हो पाता
(मैया, वस्त्र ना हो पाता)
खान-पान का वैभव (खान-पान का वैभव)
सब तुमसे आता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
(मैया, क्षीरोदधि जाता)
रत्न चतुर्दश तुम बिन (रत्न चतुर्दश तुम बिन)
कोई नहीं पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता
(मैया, जो कोई नर गाता)
उर आनंद समाता (उर आनंद समाता)
पाप उतर जाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, मैया जी को निसदिन सेवत
हर विष्णु धाता, ॐ जय लक्ष्मी माता

बुधवार, 15 जनवरी 2025

बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं

 बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं

"बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं"

यह गीत एक भक्ति गीत है जो विशेष रूप से माता अम्बे के दरबार में भक्तों के समर्पण और श्रद्धा को दर्शाता है। यह गीत माँ के दर पर आने वाले भक्तों की भावनाओं और उनकी आस्था को खूबसूरती से व्यक्त करता है। इसमें बारिश की छम-छम आवाज के साथ भक्तों की आस्था और भक्ति का चित्रण किया गया है, जो माँ के दर्शन के लिए तीव्र इच्छा और उम्मीद के साथ आते हैं।

गीत की शुरुआत बारिश की बूँदों की छम-छम से होती है, जिसमें भक्त यह दर्शाते हैं कि चाहे मौसम कुछ भी हो, वे माँ के दर पर पहुँचना चाहते हैं। भक्ति और विश्वास के साथ वे यह प्रार्थना करते हैं कि माँ उनके जीवन में आशीर्वाद की बारिश करें, उनके झोलियाँ भरें और उनकी हर कठिनाई को दूर करें। यह गीत भावनाओं से भरा हुआ है, जो भक्तों की कठिनाईयों और संघर्षों के बावजूद माँ के प्रति श्रद्धा और आस्था को दिखाता है।

1.      बारिश का प्रतीक: बारिश का मौसम गीत के भावनात्मक प्रभाव को और बढ़ाता है। यह भक्तों के जीवन में माँ की कृपा की तरह महसूस होता है, जैसे बारिश के पानी से जमीन हरी-भरी होती है, वैसे ही माँ की कृपा से भक्तों का जीवन समृद्ध हो जाता है।

2.      भक्तों का समर्पण: गीत में विभिन्न प्रकार के भक्तों का उल्लेख किया गया है – कोई अकेला आता है, तो कोई परिवार के साथ। सभी एक ही उद्देश्य के लिए आते हैं, यानी माँ के दर्शन और आशीर्वाद की प्राप्ति।

3.      मेहरा वाली की प्रार्थना: "मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे" में भक्त माँ से यह प्रार्थना करते हैं कि वह उनकी झोलियाँ भर दें, अर्थात उनकी हर जरूरत पूरी करें और जीवन में सुख-शांति लाएं। यह अभिव्यक्ति समर्पण और विश्वास का प्रतीक है।

4.      आध्यात्मिक संदेश: गीत में एक गहरा आध्यात्मिक संदेश है कि भक्ति और कठिनाइयाँ एक साथ चलते हैं, और दुखों से उबरकर ही सुख मिलता है। "दुख पाकर ही सुख मिलता है" इसका उदाहरण है, जो जीवन में संघर्ष के बावजूद विश्वास और भक्ति का फल मिलता है।

5.      माँ का आशीर्वाद: गीत का अंत भक्तों की प्रार्थना में होता है, जहां वे माँ से आशीर्वाद की अपेक्षा करते हैं। वे कहते हैं कि जैसे अमृत के पानी से पापी भी शुद्ध हो सकते हैं, वैसे ही माँ के आशीर्वाद से वे भी अपने जीवन को सुधर सकते हैं।

सारांश: यह गीत श्रद्धा, समर्पण और भक्तों के बीच माँ के प्रति असीम विश्वास को व्यक्त करता है। बारिश की छम-छम और उसके साथ जुड़ी भावनाएँ इसे और भी भक्ति से भरा बनाती हैं। गीत की रचनात्मकता और भावनाओं की गहराई भक्तों को एक मानसिक और आध्यात्मिक शांति की ओर प्रेरित करती है।

बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं

बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे,

बिजली कड़क रही है, थम-थम के आए हैं
बिजली कड़क रही है, थम-थम के आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे,
कोई बूढ़ी माँ के संग आया, कोई तन्हा हुआ तैयार
कोई आया भक्तों की टोली में, कोई पूरा परिवार
हो-हो, कोई बूढ़ी माँ के संग आया, कोई तन्हा हुआ तैयार
कोई आया भक्तों की टोली में, कोई पूरा परिवार

सबकी आँखें देख रहीं, कब पहुँचें तेरे द्वार

छोटे-छोटे बच्चों को संग लेके आए हैं
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे, माँ
काली घनघोर घटाओं से जम-जम कर बरसे पानी
आगे बढ़ते ही जाना है, भक्तों ने यही है ठानी
हो, काली घनघोर घटाओं से जम-जम कर बरसे पानी
आगे बढ़ते ही जाना है, भक्तों ने यही है ठानी

सबकी आस यही है कि मिल जाए तेरा प्यार

भीगी-भीगी पलकों पे सपने सजाए हैं
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे,
तेरे ऊँचे भवन पे, माँ अम्बे, रहते हैं लगे मेले
मीठा फल वो ही पाते हैं जो तकलीफ़ें झेलें
हो-हो, तेरे ऊँचे भवन पे, माँ अम्बे, रहते हैं लगे मेले
मीठा फल वो ही पाते हैं जो तकलीफ़ें झेलें

दुख पाकर ही सुख मिलता है, भक्ति का ये सार

मैया, तेरी दरस के दीवाने आए हैं
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे, माँ
रिमझिम ये बरस रहा पानी, अमृत के लगे सामान
इस अमृत में भीगें पापी तो बन जाएँ इंसान
हो, रिमझिम ये बरस रहा पानी, अमृत के लगे सामान
इस अमृत में भीगें पापी तो बन जाएँ इंसान

कर दे, मैया रानी, कर दे हम पे भी उपकार

हमने भी जयकारे जम-जम के लगाए हैं
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे,

शनिवार, 11 जनवरी 2025

मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा

 मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा

यह गाना भगवान शिव की महिमा और उनकी उपासना पर आधारित है। इसमें भगवान शिव के अद्वितीय स्वरूप, उनकी शक्ति और उनके भक्तों के प्रति असीम प्रेम की गाथा गाई गई है। गाने के बोल में भगवान शिव के जीवनदायिनी गुणों का उल्लेख किया गया है, जैसे कि उनकी माया, शरणागत वत्सलता, और उनके द्वारा अपने भक्तों को दी गई आशीर्वाद की महिमा।

गीत की शुरुआत "ॐ नमः शिवाय" के जाप से होती है, जो शिव की पूजा का एक पवित्र मंत्र है। इसके बाद, गाने में यह बताया जाता है कि भगवान शिव ही सत्य हैं, और यही सत्य जीवन को सुंदर और संपूर्ण बनाता है। गीत में यह भी दर्शाया गया है कि तीनों लोक शिव में समाहित हैं, और उनकी माया अपार है।

गाने के दूसरे हिस्से में, शिव भक्ति के महत्व को रेखांकित करते हुए, यह भी कहा गया है कि शिव से बड़ा कोई नहीं है। पार्वती माता द्वारा सीता का रूप धारण करके भगवान राम के सम्मुख आने और राम द्वारा शिव की महिमा का उद्घाटन करने का वर्णन किया गया है। इसके माध्यम से शिव के अद्वितीय गुणों और उनके प्रभाव को दर्शाया गया है।

गाने में यह भी कहा गया है कि भगवान शिव की जटाओं से गंगा नदी निकली, और गंगा ने भीष्म पितामह को आशीर्वाद दिया। इसका मतलब है कि भगवान शिव की कृपा से अनेक देवताओं और महापुरुषों को बल और आशीर्वाद प्राप्त हुआ है।

यह गीत एक प्रकार से भगवान शिव की पूजा और उनके प्रति भक्ति की गहरी अभिव्यक्ति है, जिसमें शिव के महान और सर्वोत्तम रूप की महिमा की गाथा गाई गई है।

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय
(ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय)

सत्य है ईश्वर, शिव है जीवन, सुंदर ये संसार है
तीनों लोक हैं तुझ में, तेरी माया अपरंपार है

मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा
मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा
बोल सत्यम शिवम, बोल तू सुंदरम
मन मेरे, शिव की महिमा के गुण गाए जा

मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा
बोल सत्यम शिवम, बोल तू सुंदरम
मन मेरे, शिव की महिमा के गुण गाए जा
मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा

पार्वती जब सीता बनकर जय श्री राम के सम्मुख आई
पार्वती जब सीता बनकर जय श्री राम के सम्मुख आई
राम ने उनको "माता" कहकर शिव शंकर की महिमा उगाई

शिव भक्ति में सब कुछ सूझा
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा
बोल सत्यम शिवम, बोल तू सुंदरम
मन मेरे, शिव की महिमा के गुण गाए जा
मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा

तेरी जटा से निकली गंगा और गंगा ने भीष्म दिया है
तेरी जटा से निकली गंगा और गंगा ने भीष्म दिया है
तेरे भक्तों की शक्ति ने सारे जगत को जीत लिया है

तुझ को सब देवों ने पूजा
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा
बोल सत्यम शिवम, बोल तू सुंदरम
मन मेरे, शिव की महिमा के गुण गाए जा

मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा
बोल सत्यम शिवम, बोल तू सुंदरम
मन मेरे शिव की महिमा के गुण गाए जा

मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा
मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा

शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

जय अम्बे गौरी

 जय अम्बे गौरी

यह भजन "जय अम्बे गौरी" देवी महा शक्ति की स्तुति में गाया जाता है, विशेष रूप से माँ दुर्गा की आराधना में। यह भजन उनकी दिव्य शक्ति और महिमा का वर्णन करता है। इस गीत में माँ अम्बे के रूप, उनकी कृपा, और उनकी विशेषताओं का वर्णन किया गया है।

1.      माँ के रूप और गुणभजन में माँ के सौंदर्य और शक्ति का बखान किया गया है, जैसे कि उनके नयन उज्जवल, उनका रक्ताम्बर वस्त्र, और उनका वाहन शेर है। उनके रूप में शक्ति और सौंदर्य दोनों का संगम है।

2.      देवी की महिमाइस भजन में माँ को शुम्भ-निशुम्भ जैसे राक्षसों को हराने वाली, महिषासुर जैसे राक्षसों का वध करने वाली और अन्य असुरों को समाप्त करने वाली के रूप में पूजा गया है।

3.      माँ का भक्तों के प्रति आशीर्वादभजन में कहा गया है कि जो कोई भी इस भजन का पाठ करता है, वह सुख, संपत्ति और समृद्धि प्राप्त करता है। भक्तों के दुखों को हरने वाली और उनके मनवांछित फल देने वाली माँ के रूप में उन्हें पूजा गया है।

4.      अर्थ और प्रभावइस भजन के माध्यम से भक्त माँ से आशीर्वाद की प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। माँ अम्बे को "जग की माता" और "दुख हर्ता" के रूप में पूजा गया है।

यह भजन शुद्ध भक्ति का प्रतीक है और देवी अम्बे के प्रति गहरी श्रद्धा और विश्वास का प्रदर्शन है।

जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी
जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी

मांग सिंदूर विराजित
टीको जगमग तो
मैया टीको जगमग तो
उज्ज्वल से दोउ नैना
उज्ज्वल से दोउ नैना
चंद्रवदन नीको
ॐ जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर
रक्ताम्बर राजै
मैया रक्ताम्बर राजै
रक्तपुष्प गल माला
रक्तपुष्प गल माला
कंठन पर साजै
ॐ जय अम्बे गौरी

केहरि वाहन राजत
खड्ग खप्पर धारी
मैया खड्ग खप्पर धारी
सुर नर मुनिजन सेवत
सुर नर मुनिजन सेवत
तिनके दुखहारी
ॐ जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चंद्र दिवाकर
कोटिक चंद्र दिवाकर
सम राजत ज्योती
ॐ जय अम्बे गौरी

शुंभ निशुंभ बिदारे महिषासुर घाती
मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना
धूम्र विलोचन नैना
निशदिन मदमाती
ॐ जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे
मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे
मधु कैटभ दोउ मारे
सुर भयहिन करे
ॐ जय अम्बे गौरी

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी
मैया तुम कमला रानी
अगम निगम बखानी
अगम निगम बखानी
तुम शिव पटरानी
ॐ जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरों
मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंगा
बाजत ताल मृदंगा
ओर बाजत डमरू
ॐ जय अम्बे गौरी

तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता
मैया तुम ही हो भरता
भक्तन की दुख हरता
भक्तन की दुख हरता
सुख संपति करता
ॐ जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित वर-मुद्रा धारी
मैया वर मुद्रा धारी
मनवांछित फल पावत
मनवांछित फल पावत
सेवत नर नारी
ॐ जय अम्बे गौरी

कंचन ढाल विराजत अगर कपूर बाती
मैया अगर कपूर बाती
श्रीमालकेतु में राजत
श्रीमालकेतु में राजत
कोटि रतन ज्योती
ॐ जय अम्बे गौरी

श्री अम्बे जी की आरती
जो कोई नर गावे
मैया जो कोई नर गावे
कहते शिवानंद स्वामी
कहते शिवानंद स्वामी
सुख सम्पति पावे
ॐ जय अम्बे गौरी

जय अम्बे गौरी
मैया जय श्यामा गौरी
तुमको निशिदिन ध्यावत
तुमको निशिदिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवरी
ॐ जय अम्बे गौरी

गुरुवार, 9 जनवरी 2025

ॐ जय जगदीश हरे

 ॐ जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है, जो भगवान विष्णु की महिमा और उनके आशीर्वाद का गुणगान करता है। यह भजन विशेष रूप से भक्तों के दिलों में भगवान के प्रति श्रद्धा और विश्वास को प्रगाढ़ करता है और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करता है। यह भजन सम्पूर्ण भारत में विभिन्न धार्मिक अवसरों पर गाया जाता है, खासकर मंदिरों में।

1.      भगवान विष्णु की महिमा:
"ॐ जय जगदीश हरे" की शुरुआत भगवान विष्णु की स्तुति से होती है। भगवान विष्णु को 'जगदीश' (संसार के ईश्वर) और 'स्वामी' (सार्वभौमिक स्वामी) कहा जाता है। यह भजन उनके दिव्य रूप, शक्तियों और भक्तों के प्रति उनके असीम दया और करुणा को दर्शाता है।

2.      भक्तों के संकट का निवारण:
इस भजन में भगवान विष्णु से यह प्रार्थना की जाती है कि वे अपने भक्तों और दासों के सभी संकटों को दूर करें। यह गीत इस तथ्य को व्यक्त करता है कि भगवान विष्णु शीघ्रता से अपने भक्तों की समस्याओं का समाधान करते हैं और उन्हें शांति और सुख प्रदान करते हैं।

3.      भगवान विष्णु की कृपा:
"जो ध्यावे फल पावे" का अर्थ है कि जो व्यक्ति भगवान का ध्यान करता है, उसे सुख और सम्पत्ति प्राप्त होती है, और उसके जीवन से दुखों का नाश हो जाता है। यह गीत यह संदेश देता है कि भगवान की भक्ति से व्यक्ति को जीवन में सफलता, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

4.      भगवान विष्णु के प्रति समर्पण:
"मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी" में भक्त भगवान विष्णु को अपना पिता और माता मानते हुए पूरी श्रद्धा से उनकी शरण में जाते हैं। यह प्रार्थना दर्शाती है कि भगवान के बिना जीवन में कोई और सहारा नहीं है। भक्त अपनी पूरी आस भगवान पर छोड़कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त करते हैं।

5.      भगवान का रक्षक रूप:
भगवान विष्णु को रक्षक और पालनहार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। भजन में कहा गया है कि भगवान विष्णु कृपा के सागर हैं और वे अपने भक्तों के दुःखों को दूर कर उन्हें शांति और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

6.      भगवान के दिव्य रूप का आह्वान:
"तुम हो एक अगोचर, सबके प्राण पति" में भगवान विष्णु को अगोचर (अदृश्य) और सर्वव्यापक रूप में माना जाता है। वे सभी प्राणियों के हृदय में निवास करते हैं और उनका पालन करते हैं। भजन के माध्यम से भक्त यह प्रार्थना करते हैं कि वे भगवान विष्णु से अपनी कुमति (बुरी बुद्धि) से उबारने की कृपा प्राप्त करें।

7.      पापों का नाश और भक्तों की सेवा:
"विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा" में भगवान से प्रार्थना की जाती है कि वे भक्तों के पापों को नष्ट करें और उन्हें शुद्ध करें। भक्त भगवान से अपनी श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाने और संतों की सेवा करने का आशीर्वाद चाहते हैं।

8.      भक्तों के लिए रक्षक:
भगवान विष्णु को रक्षक के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो भक्तों के सभी संकटों का निवारण करते हैं। "अपने हाथ उठाओ, अपनी शरण लगाओ" में यह संदेश है कि भक्त भगवान की शरण में आकर उनके आशीर्वाद से सुरक्षित रहते हैं।

"ॐ जय जगदीश हरे" एक अत्यंत लोकप्रिय भक्ति गीत है, जो भगवान विष्णु के प्रति असीम श्रद्धा और विश्वास को व्यक्त करता है। यह गीत भगवान के समस्त रूपों की स्तुति करता है और भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि, और आशीर्वाद की कामना करता है। भजन का संदेश यह है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों की शरण में आकर उनके जीवन से कष्टों का निवारण करते हैं और उन्हें सुख, शांति, और समृद्धि प्रदान करते हैं। इस गीत को श्रद्धा से गाने से भक्तों को मानसिक शांति और परम सुख की प्राप्ति होती है।

ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट दास जनों के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे दुःख बिन से मन का
स्वामी दुख बिन से मन का
सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे
शरण गहूं किसकी
स्वामी शरण गहूं किसकी
तुम बिन और ना दूजा
तुम बिन और ना दूजा
आस करूँ जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा
तुम अंतरियामी
स्वामी तुम अंतरियामी
पार ब्रह्म परमेश्वर
पार ब्रह्म परमेश्वर
तुम सबके स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर
तुम पालन करता
स्वामी तुम पालन करता
मैं मूरख खलकामी
मैं सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर
सबके प्राण पति
स्वामी सबके प्राण पति
किस विध मिलु दयामय
किस विध मिलु दयामय
तुम को मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीन बन्धु दुःख हर्ता
ठाकुर तुम मेरे
स्वामी रक्षक तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
विषय-विकार मिटाओ पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट
दास ज़नो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त ज़नो के संकट
दास जनो के संकट
क्षण में दूर करे
ॐ जय जगदीश हरे

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