बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
"बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए
हैं"
यह गीत एक भक्ति गीत है जो विशेष रूप से माता अम्बे के
दरबार में भक्तों के समर्पण और श्रद्धा को दर्शाता है। यह गीत माँ के दर पर आने
वाले भक्तों की भावनाओं और उनकी आस्था को खूबसूरती से व्यक्त करता है। इसमें बारिश
की छम-छम आवाज के साथ भक्तों की आस्था और भक्ति का चित्रण किया गया है, जो माँ के दर्शन के लिए तीव्र इच्छा और उम्मीद के साथ आते हैं।
गीत की शुरुआत बारिश की बूँदों की छम-छम से होती है, जिसमें भक्त यह दर्शाते हैं कि चाहे मौसम कुछ भी हो, वे माँ के दर पर पहुँचना चाहते हैं। भक्ति और विश्वास के साथ वे यह
प्रार्थना करते हैं कि माँ उनके जीवन में आशीर्वाद की बारिश करें, उनके झोलियाँ भरें और उनकी हर कठिनाई को दूर करें। यह गीत भावनाओं से भरा
हुआ है, जो भक्तों की कठिनाईयों और संघर्षों के बावजूद माँ
के प्रति श्रद्धा और आस्था को दिखाता है।
1. बारिश का
प्रतीक: बारिश का मौसम गीत के भावनात्मक प्रभाव को
और बढ़ाता है। यह भक्तों के जीवन में माँ की कृपा की तरह महसूस होता है, जैसे बारिश के पानी से जमीन हरी-भरी होती है, वैसे
ही माँ की कृपा से भक्तों का जीवन समृद्ध हो जाता है।
2. भक्तों का
समर्पण: गीत में विभिन्न प्रकार के भक्तों का
उल्लेख किया गया है – कोई अकेला आता है, तो कोई परिवार के
साथ। सभी एक ही उद्देश्य के लिए आते हैं, यानी माँ के दर्शन
और आशीर्वाद की प्राप्ति।
3. मेहरा वाली
की प्रार्थना: "मेहरा कर दे, झोलियाँ
सबकी भर दे" में भक्त माँ से यह प्रार्थना करते हैं कि वह उनकी झोलियाँ भर
दें, अर्थात उनकी हर जरूरत पूरी करें और जीवन में सुख-शांति
लाएं। यह अभिव्यक्ति समर्पण और विश्वास का प्रतीक है।
4. आध्यात्मिक
संदेश: गीत में एक गहरा आध्यात्मिक संदेश है कि
भक्ति और कठिनाइयाँ एक साथ चलते हैं, और दुखों से उबरकर ही
सुख मिलता है। "दुख पाकर ही सुख मिलता है" इसका उदाहरण है, जो जीवन में संघर्ष के बावजूद विश्वास और भक्ति का फल मिलता है।
5. माँ का
आशीर्वाद: गीत का अंत भक्तों की प्रार्थना में होता
है, जहां वे माँ से आशीर्वाद की अपेक्षा करते हैं। वे कहते
हैं कि जैसे अमृत के पानी से पापी भी शुद्ध हो सकते हैं, वैसे
ही माँ के आशीर्वाद से वे भी अपने जीवन को सुधर सकते हैं।
सारांश: यह गीत श्रद्धा,
समर्पण और भक्तों के बीच माँ के प्रति असीम विश्वास को व्यक्त करता
है। बारिश की छम-छम और उसके साथ जुड़ी भावनाएँ इसे और भी भक्ति से भरा बनाती हैं।
गीत की रचनात्मकता और भावनाओं की गहराई भक्तों को एक मानसिक और आध्यात्मिक शांति
की ओर प्रेरित करती है।
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे, ओ
बिजली कड़क रही है, थम-थम के आए
हैं
बिजली कड़क रही है, थम-थम के आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे, ओ
कोई बूढ़ी माँ के संग आया, कोई तन्हा हुआ तैयार
कोई आया भक्तों की टोली में, कोई पूरा परिवार
हो-हो, कोई बूढ़ी माँ के संग आया, कोई तन्हा हुआ तैयार
कोई आया भक्तों की टोली में, कोई पूरा परिवार
सबकी आँखें देख रहीं, कब पहुँचें
तेरे द्वार
छोटे-छोटे बच्चों को संग लेके आए हैं
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे, माँ
काली घनघोर घटाओं से जम-जम कर बरसे पानी
आगे बढ़ते ही जाना है, भक्तों ने यही है ठानी
हो, काली घनघोर घटाओं से जम-जम कर बरसे पानी
आगे बढ़ते ही जाना है, भक्तों ने यही है ठानी
सबकी आस यही है कि मिल जाए तेरा प्यार
भीगी-भीगी पलकों पे सपने सजाए हैं
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे, ओ
तेरे ऊँचे भवन पे, माँ अम्बे, रहते हैं लगे मेले
मीठा फल वो ही पाते हैं जो तकलीफ़ें झेलें
हो-हो, तेरे ऊँचे भवन पे, माँ अम्बे, रहते हैं लगे मेले
मीठा फल वो ही पाते हैं जो तकलीफ़ें झेलें
दुख पाकर ही सुख मिलता है, भक्ति का ये
सार
मैया, तेरी दरस के दीवाने आए हैं
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे, माँ
रिमझिम ये बरस रहा पानी, अमृत के लगे सामान
इस अमृत में भीगें पापी तो बन जाएँ इंसान
हो, रिमझिम ये बरस रहा पानी, अमृत के लगे सामान
इस अमृत में भीगें पापी तो बन जाएँ इंसान
कर दे, मैया रानी, कर
दे हम पे भी उपकार
हमने भी जयकारे जम-जम के लगाए हैं
बारिशों की छम-छम में तेरे दर पे आए हैं
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे
मेहरा वाली, मेहरा कर दे, झोलियाँ सबकी भर दे, ओ