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रविवार, 16 मार्च 2025

प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी

 यह गीत "प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी" माता भवानी (या देवी दुर्गा) की महिमा को प्रस्तुत करता है और उनके भक्तों के समर्पण एवं आस्था का उत्सव है। यह गीत विशेष रूप से माता के दरबार की महिमा और उनकी कृपा की ओर इशारा करता है।

गीत का सार:

1.      माता का दरबार: गीत की शुरुआत माता के दरबार की सुंदरता और उसकी अनोखी महिमा से होती है। यह दर्शाता है कि हर व्यक्ति जो भी मन में विचार और नीयत लेकर आता है, उसे वही मिलता है। माता का दरबार एक पवित्र स्थान है, जहाँ भक्तों की आस्था और श्रद्धा का सम्मान किया जाता है। "प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी" की पंक्ति माता के दरबार की सुंदरता को और उसकी कृपा को व्यक्त करती है।

2.      भक्तों की कतार: गीत में भक्तों की लंबी कतार का उल्लेख किया जाता है, जो यह दर्शाता है कि माता के दरबार में हर कोई अपनी समस्याओं और इच्छाओं के साथ आकर, माता के चरणों में श्रद्धा निवेदित करता है। भक्तों की कतार प्रतीक है इस बात का कि माता का आशीर्वाद पाने के लिए लाखों लोग आते हैं और उनके दरबार में आकर मन की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

3.      माता की उपस्थिति और आशीर्वाद: गीत में माता के दरबार में हर जगह ज्योति का फैलाव, गंगा की धार और लाल फूलों के हार से सजावट का वर्णन किया जाता है। यह दर्शाता है कि माता का दरबार न केवल शारीरिक रूप से सुंदर है, बल्कि वहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा और आशीर्वाद भी भक्तों को शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

4.      सावन माह और माता की पूजा: सावन का महीना विशेष रूप से देवी की पूजा के लिए महत्त्वपूर्ण है, और इस गीत में माता की पूजा की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है, जहाँ भक्त उनके सामने झूला झूलते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह समय भक्तों के लिए विशेष रूप से पूजनीय होता है।

5.      माता का सहारा: गीत में एक भावुक संदेश भी है कि माता अपने भक्तों के लिए एकमात्र सहारा होती हैं। चाहे किसी का जीवन कितना भी कठिन हो, अगर वह माता के द्वार पर आकर श्रद्धा से प्रार्थना करता है, तो माता उसकी मदद जरूर करती हैं। "Lakkha को है तेरा सहारा" का उल्लेख करते हुए, गीत यह बताता है कि माता हर समय अपने भक्तों के साथ हैं और उनकी मदद करने के लिए तैयार रहती हैं।

6.      आध्यात्मिक समृद्धि और विश्वास: गीत के माध्यम से यह भी स्पष्ट होता है कि माता की भक्ति और श्रद्धा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। भक्त अपने जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान माता के आशीर्वाद से पा सकते हैं।

समाप्ति: गीत का समापन माता के दरबार की सुंदरता और भक्तों की आस्था को फिर से दोहराकर किया जाता है, जहां सभी भक्त अपने विश्वास के साथ उनके दरबार में जाते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गीत अंत में यह संदेश देता है कि माता के द्वार पर आकर कोई भी व्यक्ति कभी निराश नहीं होता, बल्कि उसे उनके आशीर्वाद से जीवन में सफलता और सुख मिलता है।

दरबार तेरा दरबारों में इक खास एहमियत रखता है
उसको वैसा मिल जाता है जो जैसी नीयत रखता है

प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी
(प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी)
बड़ा न्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी
(न्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी)

भक्तों की...
यहाँ भक्तों की...
तेरे भक्तों लगी है कतार, भवानी
(भक्तों लगी है कतार, भवानी)
बड़ा प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी
(प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी)

ऊँचे पर्वत, भवन निराला
(ऊँचे पर्वत, भवन निराला)
, ऊँचे पर्वत, भवन निराला
(ऊँचे पर्वत, भवन निराला)

आके शीश नवावे संसार, भवानी
(शीश नवावे संसार, भवानी)
प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी
(प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी)

जगमग-जगमग जोत जगे है
(जगमग-जगमग जोत जगे है)
हो, जगमग-जगमग जोत जगे है
(जगमग-जगमग जोत जगे है)

तेरे चरणों में गंगा की धार, भवानी
(चरणों में गंगा की धार, भवानी)
तेरे भक्तों की लगी है कतार, भवानी
(भक्तों की लगी है कतार, भवानी)

लाल चुनरिया, लाल-लाल चूड़ा
(लाल चुनरिया, लाल-लाल चूड़ा)
, लाल चुनरिया, लाल-लाल चूड़ा
(लाल चुनरिया, लाल-लाल चूड़ा)

गले लाल फूलों के सोहे हार, भवानी
(लाल फूलों के सोहे हार, भवानी)
बड़ा प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी
(प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी)

, सावन महीना मैया झूला झूले
(सावन महीना मैया झूला झूले)
सावन महीना मैया झूला झूले
(सावन महीना मैया झूला झूले)

देखो रूप कंजकों का धार, भवानी
(रूप कंजकों का धार, भवानी)
प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी
(प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी)

हो, पल में भरती झोली खाली
(पल में भरती झोली खाली)
पल में भरती झोली खाली
(पल में भरती झोली खाली)

तेरे खुले दया के भंडार, भवानी
(खुले दया के भंडार, भवानी)
तेरे भक्तों की लगी है कतार, भवानी
(भक्तों की लगी है कतार, भवानी)

Lakkha को है तेरा सहारा, माँ
(हम सबको है तेरा सहारा)
Lakkha को है तेरा सहारा
(हम सबको है तेरा सहारा)

कर दे अपने सरल का बेड़ा पार, भवानी
(कर दे सरल का बेड़ा पार, भवानी)
बड़ा प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी
(प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी)

भक्तों की...
तेरे भक्तों की...
यहाँ भक्तों की लगी है कतार, भवानी
(भक्तों की लगी है कतार, भवानी)
तेरे भक्तों की लगी है कतार, भवानी
(भक्तों की लगी है कतार, भवानी)

बोलो, प्यारा सजा है तेरे द्वार, भवानी
(प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी)
प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी
(प्यारा सजा है तेरा द्वार, भवानी)

बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

जय माता दी (धूनी माँ के नाम की)

जय माता दी (धूनी माँ के नाम की)

"जय माता दी" एक बहुत प्रसिद्ध और श्रद्धापूर्ण भक्ति गीत है, जो भारतीय देवी पूजा में आम तौर पर गाया जाता है। यह गीत विशेष रूप से माता रानी के विभिन्न रूपों की महिमा और आशीर्वाद का उद्घाटन करता है। इस गीत में भक्त अपनी श्रद्धा को प्रकट करते हुए, देवी माँ के प्रति अपनी आस्था को व्यक्त करते हैं। गीत में कई अलग-अलग रूपों का उल्लेख किया गया है, जैसे माँ वैष्णो देवी, माँ अम्बे रानी, माँ मनसा देवी, माँ नैणां देवी, माँ ज्वाला मईया, और अन्य देवी स्वरूपों का।

गीत का मुख्य भाव यही है कि देवी माँ की जयकार करते हुए भक्त उन्हें अपने कष्टों से मुक्ति और आशीर्वाद की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। "जय माता दी" का जाप इस गीत का मुख्य मंत्र है, जिसे भक्त बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ गाते हैं। यह हर एक शब्द और उच्चारण में देवी की शक्ति और कृपा का आह्वान होता है।

"जयकारा" शब्द का प्रयोग देवी के विभिन्न रूपों के प्रति श्रद्धा और जयकारे के रूप में किया जाता है, जैसे "शेरां वाली का जयकारा", "वैष्णों वाली का जयकारा", "ज्योतां वाली का जयकारा", आदि। इस तरह, गीत में सभी रूपों की महिमा को एक साथ जोड़ा गया है और भक्तों को माँ के भव्य रूपों का आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रेरणा दी जाती है।

यह गीत धार्मिक समागमों, उत्सवों और विशेष रूप से माता के दरबारों में भक्तों द्वारा गाया जाता है, जहाँ वह माँ की महिमा का गायन करके अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।

जयकारा,,, शेराँ वाली का,,,

बोलो सच्चे दरबार की जय l

जयकारा,,, मेहराँ वाली का,,,

बोलो सच्चे दरबार की जय l

जयकारा,,, ज्योतां वाली का,,,

बोलो सच्चे दरबार की जय l

जयकारा,,, पहाड़ाँ वाली का,,,

बोलो सच्चे दरबार की जय l

जयकारा,,, वैष्णों वाली का,,,

बोलो सच्चे दरबार की जय l

सच्ची ज्योतों, वाली माता,,,

"तेरी सदा ही जय" l

जय माता दी,,, जय माता दी ll x21 ll

ओ प्रेम से बोलो,,, जय माता दी l

ओ सारे बोलो,,, जय माता दी l

ओ भक्तों बोलो,,, जय माता दी l

ओ मिलके बोलो,,, जय माता दी l

ओ ज़ोर से बोलो,,, जय माता दी l

ओ आते बोलो,,, जय माता दी l

ओ जाते बोलो,,, जय माता दी l

जय माता दी,,, जय माता दी ll

माँ अम्बे रानी,,, जय माता दी l

माँ वैष्णों रानी,,, जय माता दी l

माँ मनसा देवी,,, जय माता दी l

माँ नैणां देवी,,, जय माता दी l

माँ ज्वाला मईया,,, जय माता दी l

चामुण्डा मईया,,, जय माता दी l

माँ चिंतापुरनी,,, जय माता दी l

माँ संकट हरनी,,, जय माता दी l

माँ मँगल करनी,,, जय माता दी l

माँ जोड़े दर्पण,,, जय माता दी l

माँ दे के दर्शन,,, जय माता दी l

माँ कष्ट निवारे,,, जय माता दी l

मेरी माँ पार उतारे,,, जय माता दी l

मेरी माँ भोली,,, जय माता दी l

भर देती झोली,,, जय माता दी l

मेरी शारदा मईया,,, जय माता दी l

मेरी लक्ष्मी मईया,,, जय माता दी l

मेरी काली मईया,,, जय माता दी l

माँ जग कल्याणी,,, जय माता दी l

मेरी माँ सुहानी,,, जय माता दी l

बोलो, जय माता दी l

जय माता दी,,, जय माता दी ll

जयकारा,,, शेराँ वाली का,,,

बोलो सच्चे दरबार की जय l

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025

मैय्या का चोला (है रंगला)

मैय्या का चोला (है रंगला)

"चोला है रंगला" एक भक्तिपूरण गीत है, जो देवी माता की महिमा और आशीर्वाद को व्यक्त करता है। इस गीत में मुख्य रूप से देवी माँ के विभिन्न रूपों का उल्लेख किया गया है, जैसे माँ वैष्णो देवी, माँ अम्बे रानी, शेरों वाली माता, और अन्य देवी स्वरूपों का।

गीत का केंद्रीय विषय माँ के चोले (पोशाक) के रंग का है, जिसे "रंगला" कहा गया है। "रंगला" का अर्थ होता है रंग-बिरंगा और आभायुक्त। यह गीत माता के भक्तों की श्रद्धा, प्रेम, और भक्ति को प्रकट करता है। गीत के शब्दों में यह व्यक्त किया गया है कि देवी माँ का चोला (पोशाक) सुंदर और चमत्कारी है, जो भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और आशीर्वाद लाता है।

गीत में देवी के चोले के विभिन्न रंगों और प्रकारों का वर्णन है, जो उनके विभिन्न रूपों की महिमा को उजागर करता है। विशेष रूप से शेरों वाली, मेहरो वाली, और जोतो वाली का चोला अत्यधिक पूजा जाता है। गीत के माध्यम से भक्त देवी माँ की महिमा का गान करते हैं और उन्हें अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।

यह गीत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और श्रद्धा का भी अनूठा प्रदर्शन है।

हो, लाली मेरी मात की, जित देखूँ तित लाल
लाली देखन मैं गया, मैं भी हो ग्या लाल

मैय्या का चोला (है रंगला)
मैय्या का चोला (है रंगला)
शेरो वाली का चोला (है रंगला)
मेहरो वाली का चोला (है रंगला)
हो, जोतो वाली का चोला (है रंगला)
ओए, अम्बे रानी का चोला (है रंगला)
माँ वैष्णो का चोला (है रंगला)

हो, भवन मैय्या का लाल
चोला है रंगला, रंगला, रंगला, रंगला

मैय्या का चोला (है रंगला)
हो, शेरो वाली का चोला (है रंगला)
हो, मेहरो वाली का चोला (है रंगला)
हो, जोतो वाली का चोला (है रंगला)
ओए, अम्बे रानी का चोला (है रंगला)
माँ वैष्णव का चोला (है रंगला)

हो, भवन मैय्या का लाल
चोला है रंगला, रंगला, रंगला, रंगला

मैय्या का चोला (है रंगला)
ओए, अम्बे रानी का चोला (है रंगला)
, शेरो वाली का चोला (है रंगला)

सुआ चोला अँग बिराजे
(सुआ चोला अँग बिराजे)
सुआ-सुआ चोला अँग बिराजे
(सुआ-सुआ चोला अँग बिराजे)

लगी किनारी लाल
चोला है रंगला, रंगला, रंगला, रंगला

मैय्या का चोला (है रंगला)
, शेरो वाली का चोला (है रंगला)
ओए, अम्बे रानी का चोला है रंगला

ओए, सिर सोने का छत्र बिराजे
(सिर सोने का छत्र बिराजे)
सिर सोने का छत्र बिराजे
(सिर सोने का छत्र बिराजे)

हीरे अपरंपार
चोला है रंगला, रंगला, रंगला, रंगला

मेरी माँ का चोला (है रंगला)
शेरो वाली का चोला (है रंगला)
माँ वैष्णो का चोला है रंगला

अश्विन चैत महीना आवे
(अश्विन चैत महीना आवे)
अश्विन चैत महीना आवे
(अश्विन चैत महीना आवे)

चले पवन की चाल
चोला है रंगला, रंगला, रंगला, रंगला

मेरी माँ का चोला (है रंगला)
शेरो वाली का चोला (है रंगला)
मेहरो वाली का चोला है रंगला

ओए, पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल
(पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल)
पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल
(पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल)

माँ की भेंट चढ़ा के
चोला है रंगला, रंगला, रंगला, रंगला

मेरी माँ का चोला (है रंगला)
अम्बे रानी का चोला (है रंगला)
, शेरो वाली का चोला है रंगला

, शेरो वाली माता मेरी
(शेरो वाली माता मेरी)
मेहरो वाली माता मेरी
(मेहरो वाली माता मेरी)

सब को करे निहाल
चोला है रंगला, रंगला, रंगला, रंगला

मेरी माँ का चोला (है रंगला)
, शेरो वाली का चोला (है रंगला)
, मेहरो वाली का चोला (है रंगला)
, जोता वाली का चोला (है रंगला)
ओए, अम्बे रानी का चोला (है रंगला)
माँ वैष्णो का चोला (है रंगला)

भवन मैय्या का लाल
चोला है रंगला

मेरी माँ का चोला (है रंगला)
, शेरो वाली का चोला (है रंगला)
ओए, मेहरो वाली का चोला (है रंगला)
, जोतो वाली का चोला (है रंगला)
ओए, अम्बे रानी का चोला (है रंगला)
माँ वैष्णो का चोला (है रंगला)

मैय्या का चोला (है रंगला)
शेरो वाली का चोला (है रंगला)
हो, मेहरो वाली का चोला (है रंगला)
हो, जोतो वाली का चोला (है रंगला)

ओए, अम्बे रानी का चोला (है रंगला)
माँ वैष्णो का चोला है रंगला

शनिवार, 22 फ़रवरी 2025

मंगल भवन अमंगल हारी

 मंगल भवन अमंगल हारी

"राम सिया राम" एक बहुत ही प्रसिद्ध भजन है, जिसे भगवान श्रीराम के प्रति भक्ति और श्रद्धा से गाया जाता है। यह भजन भगवान श्रीराम की महिमा का वर्णन करता है और उनके जीवन के आदर्शों, उनके कर्मों और उनके अद्वितीय गुणों को उजागर करता है।

इस भजन की शुरुआत "मंगल भवन अमंगल हारी" से होती है, जो भगवान श्रीराम को मंगलमूर्ति, संकटों का नाश करने वाला, और सभी विपत्तियों से मुक्ति दिलाने वाला बताते हुए उनके पवित्र व्यक्तित्व का गुणगान करता है। "द्राबाहु सुदसरथ आचार बिहारी" के द्वारा भगवान राम की महिमा और उनके धर्मपत्नी सीता के साथ उनके रिश्ते का आदर्श भी प्रस्तुत किया जाता है।

भजन में भगवान श्रीराम की उपासना करते हुए यह भी कहा गया है कि "होइ है वही जो राम रचि राखा", यानी जो कुछ भी घटित होता है, वह श्रीराम की इच्छा और रचनात्मकता के अनुसार होता है। इस विचार से यह भजन यह सिखाता है कि जीवन में आने वाली हर स्थिति में विश्वास और धैर्य रखना चाहिए, क्योंकि हर चीज में प्रभु की लीला होती है।

इसके बाद भजन में विभिन्न आदर्शों का वर्णन किया जाता है, जैसे कि धीरज, धर्म, मित्रता और नारी के प्रति सम्मान। इसके माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि जीवन में हर एक को अपना धर्म निभाना चाहिए और संकटों के समय में धैर्य रखना चाहिए।

"राम सिया राम सिया राम जय जय राम" यह गाना बार-बार आता है, जो भगवान राम और माता सीता की स्तुति करता है और भक्तों में भक्ति का संचार करता है। यह शब्द श्रद्धा और आस्था का प्रतीक होते हुए व्यक्ति के मन को शांति और संतुष्टि प्रदान करते हैं।

भजन के अंत में भगवान राम के आदर्शों के बारे में भी बताया जाता है, जैसे कि "रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई", जो यह सिखाता है कि रघुकुल की परंपरा हमेशा सत्य और वचन के पालन की रही है। यह भजन न केवल राम के जीवन की घटनाओं का स्मरण कराता है, बल्कि जीवन के उच्चतम आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा भी देता है।

सारांश में, यह भजन भगवान श्रीराम की महिमा का गुणगान करते हुए जीवन के आदर्शों और धार्मिक दृष्टिकोण को समझाने का एक अद्भुत प्रयास है, जो भक्तों को प्रभु के प्रति श्रद्धा, प्रेम और विश्वास की भावना में बांधता है।

मंगल भवन अमंगल हारी

द्राबाहु सुदसरथ आचार बिहारी

राम सिया राम सिया राम जय जय राम

राम सिया राम सिया राम जय जय राम

 

हो, होइ है वही जो राम रचि राखा

को करे तारक बढ़ाए साखा

राम सिया राम सिया राम जय जय राम

राम सिया राम सिया राम जय जय राम

 

हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी

आपदा काल परखिये चारी

हो, जेहिके जेहि पर सत्य स्नेहु

सो तेहि मिलय न कछु सन्देहु

 

हो, जाकी रही भावना जैसी

प्रभु मूर्ति देखी तिन तैसी

हो रघुकुल रीत सदा चली आई

प्राण जाए पर वचन न जाई

राम सिया राम सिया राम जय जय राम

राम, राम सिया राम सिया राम जय जय राम

 

हो, हरि अनंत हरि कथा अनंता

कहहि सुनहि बहुविधि सब संता

राम सिया राम सिया राम जय जय राम

राम, राम सिया राम सिया राम जय जय राम

राम सिया राम सिया राम जय जय राम

सोमवार, 3 फ़रवरी 2025

जय गणेश देवा

 जय गणेश देवा

यह भक्ति गीत "जय गणेश जय गणेश" भगवान गणेश की महिमा का गान है। इस गीत में भगवान गणेश की उपासना की गई है और उनके आशीर्वाद से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति का संदेश दिया गया है।

गीत की शुरुआत भगवान गणेश के सम्मान में "जय गणेश" के उद्घोष से होती है, जो उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। इस उद्घोष में गणेश जी की माता पार्वती और पिता महादेव का उल्लेख किया गया है, जो गणेश जी के दिव्य और पवित्र जन्म को दर्शाते हैं।

गीत के अगले भाग में भगवान गणेश के रूप का वर्णन किया गया है। उन्हें "एकदंत" (एक दांत वाले) के रूप में जाना जाता है, जो उनके आंतरिक शक्ति और उनके द्वारा भिन्न-भिन्न समस्याओं को हल करने की क्षमता का प्रतीक है। "दयावंत" (दयालु) और "चार भुजाधारी" (चार हाथों वाले) के रूप में उनका वर्णन किया गया है, जो उनकी व्यापकता और उनकी क्षमता को दर्शाता है। गणेश जी की सवारी "मूषक" (चूहा) है, जो प्रतीक है कि भगवान गणेश अपने भक्तों को किसी भी प्रकार की बाधाओं और संकटों से उबारने में सक्षम हैं।

गणेश जी के माथे पर सिंदूर का उबटन उनके भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, और यह दर्शाता है कि भगवान गणेश के आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि और सुख प्राप्त होता है।

गीत में आगे भगवान गणेश को पान, फूल, मेवा और लड्डू का भोग चढ़ाने का उल्लेख है, जो भारतीय संस्कृति में पूजा और भक्ति की पारंपरिक विधियों को दर्शाता है। लड्डू विशेष रूप से भगवान गणेश का प्रिय भोग माना जाता है, और इसका चढ़ाना भगवान के प्रति प्रेम और श्रद्धा का संकेत है।

गीत का मध्य भाग भगवान गणेश की अनंत शक्ति और कृपा का वर्णन करता है। वह अंधों को दृष्टि, रोगियों को स्वास्थ्य, बांझ महिलाओं को संतान और निर्धनों को संपत्ति प्रदान करते हैं। भगवान गणेश के आशीर्वाद से कोई भी संकट या कष्ट दूर हो सकता है।

इसके बाद, गीत में भगवान गणेश से प्रार्थना की जाती है कि वह सभी भक्तों की कामनाओं को पूरा करें और उनके जीवन में सफलता और समृद्धि लाएं। यह संदेश दिया गया है कि जो भक्त सच्चे मन से गणेश जी की पूजा करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है।

अंत में, गीत में भगवान गणेश से यह भी प्रार्थना की जाती है कि वह अपने भक्तों की लाज रखें और उनके हर कार्य में सफलता प्राप्त करें।

समाप्ति में पुनः "जय गणेश" के उद्घोष से गीत का समापन होता है, जो गणेश जी के प्रति श्रद्धा और आभार को व्यक्त करता है। यह गीत न केवल गणेश जी की महिमा का वर्णन करता है, बल्कि यह भक्तों को प्रेरित करता है कि वे अपने जीवन में गणेश जी की भक्ति और आशीर्वाद से सफलता और समृद्धि प्राप्त करें।

इस प्रकार, "जय गणेश जय गणेश" भगवान गणेश की भक्ति का अत्यंत सुंदर और समर्पित रूप है, जो उनके गुणों और उनके भक्तों पर उनकी कृपा की पुष्टि करता है। यह गीत एक उत्साही और प्रेरणादायक संदेश प्रदान करता है, जो हर व्यक्ति को जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि की ओर अग्रसर करने के लिए प्रेरित करता है।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड़डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा
लड़डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया
सुर शाम शरण आये सफल कीजे सेवा
सुर शाम शरण आये सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा

बिनन की लाज राखो शंभू सूत वारी
बिनन की लाज राखो शंभू सूत वारी
कामना को पूरा करो जग बली हारी
कामना को पूरा करो जग बली हारी
बिनन की लाज राखो शंभू सूत वारी
बिनन की लाज राखो शंभू सूत वारी
कामना को पूरा करो जग बली हारी
कामना को पूरा करो जग बली हारी
बिनन की लाज राखो शंभू सूत वारी
कामना को पूरा करो जग बली हारी
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा

All religious songs will be available in written form